मेष लग्न के प्रथम भाव में सूर्य 

यहाँ पर बैठने पर सूर्य "उच्च राशि" के हो जाते हैं। यह आत्मा का करक होने से अतःकरण शुद्ध रहता है और व्यक्ति अध्यात्म की और झुका देखा जाता है। 

मेष लग्न के प्रथम भाव में सूर्य 

मेष लग्न हो, और लग्न में ही सूर्य बैठे हों तो ऐसे व्यक्ति में आत्मविश्वास बहुत गजब का होता है, ऐसी कुंडली वाला व्यक्ति अपने अधिकतर कार्यों में, अपने आत्मविश्वास के बल ही सफल हो जाता है। 

मेष लग्न के प्रथम भाव में सूर्य 

मेष लग्न हो, और लग्न में ही सूर्य बैठे हों तो ऐसा व्यक्ति कुछ गर्वीले स्वाभाव का होता है, यह थोड़ा सा नकारत्मक पहलू है लेकिन आइए व्यक्तियों में घमंड देखा जाता है।  

मेष लग्न के प्रथम भाव में सूर्य 

मेष लग्न हो, और लग्न में ही सूर्य बैठे हों तो ऐसा व्यक्ति रोगों से दूर रहता है उसका स्वास्थ्य उत्तम रहता है, मुखमण्डल पर लालिमा देखी जा सकती है, कद गठीला व मध्यम रहता है। 

मेष लग्न के प्रथम भाव में सूर्य 

मेष लग्न हो, और लग्न में ही सूर्य बैठे हों तो ऐसा व्यक्ति को नेत्र विकार देखने में आता, है उसकी निगाह  होती है। ऐसे व्यक्ति के सर पर बाल कम होते हैं, कभी कभी व्यक्ति गंजा भी देखा जाता है।  

मेष लग्न के प्रथम भाव में सूर्य 

मेष लग्न हो, और लग्न में ही सूर्य बैठे हों तो ऐसा व्यक्ति शारीरिक बल से परिपूर्ण होता है। ऐसे व्यक्ति को पिता का पूर्ण सुख प्राप्त होता है। ऐसे लोग वैभवशाली होते हैं। 

मेष लग्न के प्रथम भाव में सूर्य 

मेष लग्न हो, और लग्न में ही सूर्य बैठे हों तो ऐसा व्यक्ति को सरकार से लाभ प्राप्त होता है। ऐसे व्यक्ति में नेतृत्व करने की गजब की क्षमता होती है, वह जिस क्षेत्र में कार्य करता है वहां पर उच्च पद प्राप्त कर लेता है।

मेष लग्न के प्रथम भाव में सूर्य 

मेष लग्न हो, और लग्न में ही सूर्य बैठे हों तो ऐसा व्यक्ति को क्रोध बहुत जल्दी आता है। ऐसे व्यक्ति प्रशासनिक अधिकारी होते देखे जाते हैं। ऐसे व्यक्ति धनवान होते देखे जाते हैं। 

मेष लग्न के प्रथम भाव में सूर्य 

मेष लग्न हो, और लग्न में ही सूर्य बैठे हों तो उनकी सातवीं दृष्टि सातवे भाव यानी तुला राशि पर पड़ती है, तुला सूर्य की नीच राशि होती है , इस स्थान पर दृष्टि डालने से इस भाव से प्राप्त फलों में कमी देखने को मिलती है।

मेष लग्न के प्रथम भाव में सूर्य 

मेष लग्न हो, और लग्न में ही सूर्य बैठे हों तो उनकी सातवीं दृष्टि सातवे भाव यानी तुला राशि पर पड़ती है, यह स्थान जीवन साथी का है इसलिए जीवनसाथी का पूरा सुख प्राप्त नहीं होता। 

मेष लग्न के प्रथम भाव में सूर्य 

मेष लग्न हो, और लग्न में ही सूर्य बैठे हों तो यह पंचम भाव के स्वामी का लग्न में आ जाने से केन्द्र - त्रिकोण राजयोग बनता है। जातक के आज्ञाकारी संतान उत्पन्न होती है, जातक को अच्छी शिक्षा प्राप्त होती है, ऐसा व्यक्ति सवय से प्रेम करने वाला होता है।