मेष लग्न के प्रथम भाव में सूर्य
मेष लग्न हो, और लग्न में ही सूर्य बैठे हों तो यह पंचम भाव के स्वामी का लग्न में आ जाने से केन्द्र - त्रिकोण राजयोग बनता है। जातक के आज्ञाकारी संतान उत्पन्न होती है, जातक को अच्छी शिक्षा प्राप्त होती है, ऐसा व्यक्ति सवय से प्रेम करने वाला होता है।