
स्वयं जाने आपका नाम किस अक्षर से है सही
नमस्कार जय सियाराम
प्रिय पाठकगण ! पिछले लेख में हमने अपने पाठकों को ये बताया था कि २७ नक्षत्र कौनसे होते हैं और उनके स्वामी कौन होते हैं आज उसी को आगे बढ़ा रहा हूँ प्रिय पाठको हमने आपको अबतया था की एक नक्षत्र का भचक्र पर फैलाव 13.33 अंश तक होता है आपकी सुगमता हेतु ये भी बतला दूँ की प्रत्येक नक्षत्र के 4 चरण होते हैं जब किसी शिशु का जन्म होता है तो चन्द्रमा किस नक्षत्र के किस चरण में थे (13.33/4 = 3.33 एक नक्षत्र का भचक्र पर फैलाव होता है ) इसी के अनुरूप उस जन्मे शिशु का नाम करण उस नक्षत्र के चरण के अक्षर के ऊपर किया जाना ज्योतिष शास्त्र में शुभ मन जाता है नीचे सारिणी में जो नक्षत्रों के नीचे आपको अक्षर दिखाई दे रहे हैं ये उनके चरणों के हिसाब से दिए गए अक्षर हैं आपको सरलता रहे इसलिए एक उदाहरण प्रस्तुत है –
मान लीजिये किसी शिशु का जन्म जिस समय पर हुआ उस समय चन्द्रमा कृत्तिका नक्षत्र के ३ चरण में विराजमान थे अब अगर कोई आपसे प्रश्न करता है कि “शिशु का नाम किस अक्षर पर रखा जाना चाहिए” ? तो चूँकि शिशु का जन्म कृत्तिका नक्षत्र के तीसरे चरण हुआ था इसलिए कृत्तिका नक्षत्र के तीसरे चरण का जो नाम अक्षर आपको सारणी में दिखाई दे रहा है वो “ऊ” है तो शिशु का नाम “ऊ” अक्षर पर रखा जाना ज्योतिष अनुसार सही है, इस प्रकार आपको इस सारणी से सभी नक्षत्रों के चरण के हिसाब से नाम अक्षर मिल जायेंगे आप इसमें देख कर सरलता से नाम के अक्षर का निर्धारण कर सकते हैं। प्रिय पाठको हमारा जो ज्योतिष है उसमें १२ राशियों की कल्पना है और इनका सही क्रम इस प्रकार है-
१ मेष,
२ वृषभ
३ मिथुन
४ कर्क
५ सिंह
६ कन्या
७ तुला
८ वृश्चिक
९ धनु
१० मकर
११ कुम्भ
१२ मीन
आपको सुगमता हेतु बता दूँ की यही क्रमांक आपकी कुण्डली में लिखे होते हैं भचक्र में 360 अंश और 27 नक्षत्र होते हैं ये मैंने आपको पहले के लेखों में बता दिया था अब 27 नक्षत्रों को 12 राशियों से विभाजित करने पर 27/12=2.25 उत्तर प्राप्त होता है इससे ये ज्ञात करने में पाठकों को जरा भी कठिनाई नहीं होनी चाहिए की एक राशि 2.25 नक्षत्रों के मिलने से बनती है अतः प्रथम राशि (मेष) का फैलाव भचक्र के ऊपर 0-30 अंश तक है और भचक्र के इन 30 अंशों तक जो नक्षत्र आते हैं उनका नाम है अश्विनी नक्षत्र के चारों चरण, भरणी नक्षत्र के चारों चरण और कृत्तिका नक्षत्र का प्रथम चरण इस प्रकार 9×3.33 = 30 अंश मेष राशि का फैलाव है, इसी क्रम में अन्य राशियों का भी फैलाव है जिसको आगे के लेखों में समाहित करते जायेंगे आप इस “ज्योतिष कार्नर” कार्यक्रम के नियमित पाठक बनकर ज्योतिष से सम्बंधित समस्याओं का समाधान चटकियों में निकालने में समर्थ होंगे ऐसी मुझे आशा ही नहीं पूर्ण विश्वास है।
इस सारणी में केतु गृह के नीचे अश्विनी,मघा,मूल तीन नक्षत्र लिखे हैं इन तीनों नक्षत्र का स्वामी केतु है इसी प्रकार अन्य को भी समझें।
आगे के लेखों में इसके आगे की चर्चा करता रहूंगा और आपको ज्योतिष संबंधित जानकारियों से अवगत कराता रहूँगा वो पाठक जो किसी समस्या से ग्रसित हैं हमें लिख सकते हैं हम प्रयास करेंगे कि उनके प्रश्नों के उत्तर कमेंट बॉक्स में दे सकें।
आप हमसे Paid Consultation भी प्राप्त कर सकते हैं जिसके लिए आप नीचे दिए जा रहे नंबर पर संपर्क कर सकते हैं।
इस लेख में इतना ही आगे आप इन लेखों को पढ़ने के लिए वेबसाइट पर प्रत्येक गुरुवार मध्यरात्रि के बाद विजिट कर सकते हैं, आप इस चैनल को फॉलो करिये और हमारे लेखों पर आते रहिये
मुझे आज्ञा दें अगले लेख में नई जानकारी के साथ प्रस्तुत अगले गुरुवार को मध्यरात्रि के बाद प्रस्तुत रहूँगा तब तक के लिए नमस्कार, जयसियाराम।
Astrologer Sanjeev Chaturvedi
Agra, Uttar Pradesh
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