सूर्य देव का फल कथन 

प्रिय पाठको जय सियाराम, पाठकों के द्वारा बड़ी संख्या में ये प्रश्न पूँछे जाते हैं कि, सूर्य देव ग्रहों में राजा हैं और इनके द्वारा कुण्डली में दिए जाने वाले फल किस प्रकार देखे जाते है.

सूर्यदेव का कारकत्व 

सूर्य देव हमारी कुंडली में किस स्थान पर बैठे हैं ? उसी अनुसार फल भी देते हैं इनके द्वारा स्थान विशेष का क्या फल होगा आइये जानते हैं

मित्रो भारतीय ज्योतिष में सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है। सूर्य पिता का प्रतिधिनित्व करता है। लकड़ी, मिर्च, घास, हिरन, शेर, ऊन, स्वर्ण आभूषण, तांबा आदि का भी कारक इसको माना जाता है।

जब सूर्य कुण्डली में बली अवस्था में होते हैं तो सूर्य के कारकत्व में जो भी आता है उसमे वृद्धी देखने को मिलती है।

अगर यहीं सूर्य कुंडली में निर्बल हों तो इन सभी कारकत्व में निम्नता देखने को मिलेगी।

शरीर में सूर्य पेट, आंख, ह्रदय, चेहरा का प्रतिधिनित्व करता है। और इस ग्रह से आंख, सिर, रक्तचाप, गंजापन एवं बुखार संबन्धी बीमारी होती हैं।

हड्डियों का ढांचा सूर्य के क्षेत्र में आता है।

सूर्य गेंहू, घी, पत्थर, दवा और माणिक्य पदार्थो पर अपना असर डालता है। पित्त रोग का कारण सूर्य ही है। और वनस्पति जगत में लम्बे पेड का कारक सूर्य है।

सूर्य समाज में मान सम्मान का कारक भी है, अच्छे स्वस्थ के लिए सूर्य स्ट्रांग होना आवश्यक है।

सूर्यदेव के मित्र ग्रह

मित्रो अगर पूंछा जाये कि सूर्यदेव के मित्र गृह कौनसे हैं ? तो यहाँ आपको बतला दूँ की सूर्य की मैत्री चन्द्र, मंगल और गुरु से है जब सूर्य चन्द्रमा, मंगल अथवा गुरुदेव बृहस्पति की राशि में बैठते हैं तो हर्षित रहते हैं। सूर्य की बुध से समानता है बुध सूर्य से न ही मित्रता रखते हैं और न ही शत्रुता ये सूर्य के लिए तटस्थ भूमिका निभाते हैं।

सूर्यदेव के शत्रु ग्रह

सूर्य देव की अगर शत्रुता की बात की जाए तो इनके स्वयं के पुत्र शनि देव और दैत्य गुरु शुक्र देव से शत्रुता है।

सूर्यदेव कुण्डली में कब होते हैं पूर्ण बली?

बहुत से पाठकों को तो ये पता होगा कि सूर्य कब बली माने जाते हैं ? लेकिन मैं ये लेख उन पाठकों के लिए भी लिखता हूँ, जो ज्योतिष में इतनी रूचि नहीं रखते, उनको भी ये ज्ञान हो जाए तो मेरे लेख सार्थक होते जायेंगे। तो चलिए आइये जानते हैं कि सूर्य किस स्थिति में हों तो बली बोले जाते हैं।

१. सूर्य अपनी होरा में बली होते हैं।

२. सूर्य अपनी राशि सिंह में हो तो बली होते हैं।

३. सूर्य सौर मंडल में सिंह राशि का प्रतिनिधित्व करते हैं अगर कुण्डली में सूर्य ० अंश से लेकर १० अंश तक हो तब वे मूल त्रिकोण के होते हैं और यह भी इनकी बली स्थिति मानी जाती है।

४. मेष राशि को सूर्य की उच्च राशि बोला जाता है, जब सूर्य मेष राशि में विराजमान हों तब भी यह बली होते हैं।

५. मेष राशि में जब सूर्य १० अंश के होते हैं तो यह स्थिति इनकी सर्वोच्च स्थिति मानी जाती है, इस स्थिति में अगर सूर्य किसी की कुण्डली में बैठे हों तो बली माने जाते हैं।

६. सूर्य किसी जातक के दशम भाव में अगर बैठे हों तब भी यह बली होते हैं।

७. सूर्य चन्द्रमा की राशि कर्क पर विराजमान हों तब भी बली होते हैं।

८. सूर्य मंगल की राशियों मेष अथवा वृश्चिक में बैठे तब भी ये बली होते हैं।

९. सूर्य कुंडली गुरु की राशियों धनु अथवा मीन मैं बैठे हों तब भी ये बली होते हैं।

१०. जब सूर्य देव 8 अंश से लेकर २२ अंश के बीच में स्थित हो तब भी ये बली होते हैं।

सूर्यदेव कब हो जाते हैं निर्बल

कोई भी ग्रह अगर बली होता है तो निर्बल भी अवश्य होगा इसमें कोई भी अतिशयोक्ति नहीं है। मैं इस लेख के माध्यम से अपने पाठकों ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि सूर्य किसी कुण्डली में अगर किन्ही विशेष परिस्थतियों में बैठे हैं तो यह उनकी कैसी स्थिति है।

जब आप ये जान जायेंगे कि सूर्य की कुंडली में स्थिति कैसी है ? तो आप फल कथन करने में सहजता महसूस करेंगे और फल कथन में सटीकता आने लगेगी। हमने ऊपर आपको वो स्थितयां बताईं जब हम देखकर यह जान सकते हैं कि सूर्य बली है या नहीं।

यहाँ मैं यह कह कर भी इतश्री कर सकता हूँ की जिस स्थिति में सूर्य बली होते हैं उसके उलट ये निर्बल होते हैं। लेकिन ये हमारे उन पाठकों के लिए, मुझे पर्याप्त नहीं लगता जो इसके बारे में नहीं जानते। तो आइये सूर्य देव की वह स्थितियां बताता हूँ जब सूर्य निर्बल होते हैं।

१. जब सूर्य कुंडली में ० अंश से लेकर ४ अंश तक हों अथवा २६ अंश से लेकर ३० अंश तक हों तो सूर्य निर्बल हैं ऐसा जानना चाहिए।

२. अगर सूर्य तुला राशि में हों तो इनको निर्बल मानना चाहिए, तुला इनकी नीच की राशि होती है।

३. सूर्य शुक्र की किसी भी राशि बृषभ अथवा तुला में हों तब भी निर्बल होते हैं।

४. सूर्य शनि की किसी भी राशि मकर अथवा कुम्भ में विराजमान हों तब भी निर्बल होते हैं।

५. सूर्य जब पाप प्रभावी ग्रहों के मध्य हो अथवा साथ में हों तब भी निर्बल होते हैं।

प्रिय पाठको इस लेख के माध्यम से मैंने आपको ये बतला दिया है कि वो कौनसी परिस्थितयां होती हैं जब कुंडली में सूर्य बलवान और बलहीन होते हैं इससे आपको सूर्य के फल कथन में सहयता प्राप्त होगी।
आपके कोई प्रश्न हैं तो आप आप हमें लिख भेजिए हम उन विषयों पर भी लेख लिखेंगे हमारे लेख आपकी समझ आ रहे होंगे यह आशा है, अगर फिर भी कोई तुरति इस लेखन रह जाए या कोई व्याकरण की गलती रह जाए तो आप मुझे अज्ञानी समझा कर क्षमा करे यही प्रार्थना मैं आपसे करूँगा।
जयसियाराम !

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