
कुंडली में सूर्य का बलाबल
सूर्य
जयसियाराम प्रिय पाठको
इस समस्त संसार में हर व्यक्ति अपने आने वाले भविष्य के बारे में जानने के लिए बड़ा ही उत्सुक रहता है और अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए वह क्षेत्रीय, राज्य, देश एवं विश्व प्रसिद्ध ज्योतिषियों से इसके बारे में परामर्श करता है अगर कोई व्यक्ति यह कहता है कि वह भविष्य के बारे में कतई फिक्रमंद नहीं है ते ये केवल उनका दिखावा है अगर वो भविष्य को लेकर चिंतित नहीं है तो फिर वह अपने पैसे, अपने परिवार के उज्जवल भविष्य हेतु सही जगह इन्वेष्ट करने के लिए क्यों ढूंढते हैं। खेर चलिए हम आज आपको ज्योतिष के उन ग्रहों के बारे बताते हैं जो नवग्रहों में आते हैं और इनका समस्त चराचर जीवन पर पूर्ण प्रभाव है।
१. सूर्य
२. चंद्र
३. मंगल
४. बुध
५. गुरु
६. शुक्र
७. शनि
८. राहु
९. केतु
सूर्य:- इन नवग्रहों में सूर्य सबसे प्रधान ग्रह हैं और इनको साक्षात ब्रह्म माना गया है ये समस्त ग्रहों को शाषित करते हैं और सभी ग्रहों को एक सूत्र में बांधे रखते हैं और नियमबद्ध तरीके से इन ग्रहों को गतिमान रखते हुए सौरमण्डल में अपना प्रभुत्व रखते हैं, और साथ ही साथ सभी ग्रहों को अपने तेज से एक एक बार अस्त भी कर देते हैं।
सूर्य कब बली होता है ??
अधिकतर पाठकों को ऊपर लिखा हुआ तो सब कुछ ज्ञात होगा लेकिन ये जानकारी सभी को होना संभव नहीं है कि सूर्य कब बलवान होते हैं??
आइये आपको बताते हैं की भुवन भाष्कर सूर्य भगवान कब बलवान होते हैं।
१. अपने उच्च राशि मेष में।
२. अपनी स्वयं की राशि सिंह में।
३. अपने द्रेष्काण में।
४. अपनी होरा में।
५. अपने वार (रविवार) में।
६. दिन के मध्यभाग में (दोपहर) में।
७. एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते समय में।
८. मित्र ग्रह के अंशों में।
९. कुंडली के दशम भाव में बैठते समय।
१०. उत्तरायण में बली होते ही हैं साथ साथ दक्षिणायन में भी बली होते हैं।
तो आज के लेख से आप लोगों को ये समझ अवश्य आया होगा कि सूर्य किस स्थिति में बलवान होते हैं।
आगे लेखों में अन्यान्य विषयों पर चर्चा करते रहेंगे।
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आपका आनेवाला दिन शुभ हो जय सिया राम।
ज्योतिष संजीव चतुर्वेदी
आगरा, उत्तर प्रदेश।
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