
bhaktikathain / kathain / kahaniyan / bhakt

कामदेव और उसकीउपासना
मनचाहे प्यार को पाने के लिए बसंत पंचमी को करें रति एवं कामदेव की पूजा
जैसा की आप सभी को पता है कि बसंत पंचमी ( माघ मास शुक्ल पक्षी की पंचमी ) के दिन माता सरस्वती की पूजा अर्चना करने का विधान है अगर पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ ज्ञान की देवी माता सरस्वती की पूजा की जाए तो जातक को उत्तम शिक्षा प्राप्त होती है।अब जो आपको बताने जा रहा हूँ उसके अनुसार इसी के साथ साथ शास्त्रों में बसंत पंचमी के ही दिन संसार को प्रेम और काम के लिए प्रेरित करने वाले कामदेव जी की भी उपासना की जाती है इस पूजा से बहुत ही चमत्कारिक लाभ देखे गए हैं जिन पति पत्नी के बीच अनबन रहती हो, मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए, और जो आपको पसंद हो उसकी मन में कामना करके उसके लिए ये उपासना की जाए तो वो व्यक्ति आजीवन बशीभूत रहता है। कामदेव को हिंदू शास्त्रों में प्रेम और काम का देवता माना गया है। उनका स्वरूप युवा और आकर्षक है। वे विवाहित हैं और रति उनकी पत्नी हैं। वे इतने शक्तिशाली हैं कि उनके लिए किसी प्रकार के कवच की कल्पना नहीं की गई है। उनके अन्य नामों में रागवृंत, अनंग, कंदर्प, मनमथ, मनसिजा, मदन, रतिकांत, पुष्पवान, पुष्पधंव आदि प्रसिद्ध हैं। कामदेव, हिंदू देवी लक्ष्मी और भगवान विष्णु के पुत्र और कृष्ण के पुत्र प्रद्युम्न, कामदेव का अवतार है। कामदेव के आध्यात्मिक रूप को हिंदू धर्म में वैष्णव अनुयायियों द्वारा कृष्ण भी माना जाता है सवारी तोता। कामदेव का धनुषप्रकृति के सबसेज्यादा मजबूत उपादानों मेंसे एक है।यह धनुष मनुष्यके काम मेंस्थिर–चंचलता जैसेविरोधाभासी अलंकारों से युक्तहै। इसीलिए इसकाएक कोना स्थिरताका और एककोना चंचलता काप्रतीक होता है। बसंत, कामदेव कामित्र है इसलिएकामदेव का धनुषफूलों का बनाहुआ है। इसधनुष की कमानस्वर विहीन होतीहै। यानी, कामदेवजब कमान सेतीर छोड़ते हैं, तो उसकी आवाजनहीं होती। इसकामतलब यह अर्थभी समझा जाताहै कि काममें शालीनता जरूरीहै। तीर कामदेवका सबसे महत्वपूर्णशस्त्र है। यहजिस किसी कोबेधता है उसकेपहले न तोआवाज करता हैऔर न हीशिकार को संभलनेका मौका देताहै। इस तीरके तीन दिशाओंमें तीन कोनेहोते हैं, जोक्रमश: तीन लोकोंके प्रतीक मानेगए हैं। इनमेंएक कोना ब्रह्मके आधीन हैजो निर्माण काप्रतीक है। यहसृष्टि के निर्माणमें सहायक होताहै। दूसरा कोनाविष्णु के आधीनहै, जो ओंकारया उदर पूर्ति(पेट भरने) केलिए होता है।यह मनुष्य कोकर्म करने कीप्रेरणा देता है।कामदेव के तीरका तीसरा कोनामहेश (शिव) केआधीन होता है, जो मकार यामोक्ष का प्रतीकहै। यह मनुष्यको मुक्ति कामार्ग बताता है।यानी, काम नसिर्फ सृष्टि केनिर्माण के लिएजरूरी है, बल्किमनुष्य को कर्मका मार्ग बतानेऔर अंत मेंमोक्ष प्रदान करनेका रास्ता सुझाताहै। कामदेव केधनुष का लक्ष्यविपरीत लिंगी होता है।इसी विपरीत लिंगीआकर्षण से बंधकरपूरी सृष्टि संचालितहोती है। कामदेवका एक लक्ष्यखुद काम हैं, जिन्हें पुरुष माना गयाहै, जबकि दूसरारति हैं, जोस्त्री रूप मेंजानी जाती हैं।कवच सुरक्षा काप्रतीक है। कामदेवका रूप इतनाबलशाली है कियदि इसकी सुरक्षानहीं की गईतो विप्लव लासकता है। इसीलिएयह कवच कामदेवकी सुरक्षा सेनिबद्ध है। यानीसुरक्षित काम प्राकृतिकव्यवहार केलिए आवश्यक मानागया है, ताकिसामाजिक बुराइयों और भयंकरबीमारियों को दूररखा जा सके।जब राक्षस तारकासुर नेआतन्क मचा दियाथा तब तारकासुरके वध केलिये देवतायो नेकामदेव से विनतीकी कि वहशिव व पार्वतीमे प्रेम बनादे क्योकि तारकासुरको वह वरदानथा कि केवलशिव व पार्वतीका पुत्र हीतारकासुर का वधकर सकता है।तो कामदेव तथादेवी रति कैलाशपर्वत शिव काध्यान भन्ग करनेके लिये गयेपर कामदेव काबाण लगने सेशिव का ध्यानतो भन्ग होगया पर शिवको बहुत क्रोधआ गया वशिव ने अपनातीसरा नेत्र खोलकर कामदेव कोभस्म कर दियातथा रति कोभी अपने कीमृत्यु पर क्रोधआ गया तोरति ने पार्वतीको श्राप दियाकि पार्वती केपेट से कोईभी पु्त्र जन्मनही लेगा। यहश्राप सुनकर पार्वतीदुखी हो गयीव शिव नेपार्वती को समझाकरकि उसे दुखीनही होना चाहियेतथा शिव नवपार्वती से विवाहकिया। जब देवतायोने इस श्रापके बारे मेतथा कामदेव कीमौत के बारेमे सुना तोवह बड़े व्याकुलहो गये तोदेवो ने छलसे तारकासुर कोवरदान दिलाया कितारकासुर का वधकेवल शिव केपेट से जनमापुत्र ही करसकता है। फिरशिव ने कामदेवको ज़िन्दा कियातथा कार्तीकेय नेतारकासुर का वधकिया।इतिहास कथाओं में कामदेवके नयन, भौंऔर माथे काविस्तृत वर्णन मिलता है।उनके नयनों कोबाण या तीरकी संज्ञा दीगई है। शारीरिकरूप से नयनोंका प्रतीकार्थ ठीकउनके शस्त्र तीरके समान मानागया है। उनकीभवों को कमानका संज्ञा दीगई है। येशांत होती हैं, लेकिन इशारों मेंही अपनी बातकह जाती हैं।इन्हें किसी संगया सहारे कीभी आवश्यक्ता नहींहोती। कामदेव कामाथा धनुष केसमान है, जोअपने भीतर चंचलतासमेटे होता हैलेकिन यह पूरीतरह स्थिर होताहै। माथा पूरेशरीर का सर्वोच्चहिस्सा है, यहदिशा निर्देश देताहै।हाथी को कामदेवका वाहन मानागया है। वैसेकुछ शास्त्रों मेंकामदेव को तोतेपर बैठे हुएभी बताया गयाहै, लेकिन इसेमूल अवधारणा मेंशामिल नहीं कियागया है। प्रकृतिमें हाथी एकमात्रऐसा प्राणी है, जो चारों दिशाओंमें स्वच्छंद विचरणकरता है। मादकचाल से चलनेवाला हाथी तीनदिशाओं में देखसकता है औरपीछे की तरफहल्की सी भीआहट आने परसंभल सकता है।हाथी कानों सेहर तरफ कासुन सकता हैऔर अपनी सूंडसे चारों दिशाओंमें वार करसकता है। ठीकइसी प्रकार कामदेवका चरित्र भीदेखने में आताहै। ये स्वच्छंदरूप से चारोंदिशाओं में घूमतेहैं और किसीभी दिशा मेंतीर छोड़ने कोतत्पर रहते हैं।कामदेव किसी भीतरह के स्वरको तुरंत भांपनेका माद्दा भीरखते हैं। बसंत पंचमी को वसंतऋतु के आगमनके उपलक्ष्यके तौर परभी मनाया जाताहै। इस दिनसे सुहाना मौसममाहौल को रूमानीबना देता है।इसकी वजह वसंतऔर कामदेव की दोस्ती मानीजाती है।यही वजह हैकि बसंत पंचमीवाले दिनकामदेव और रतिकी खास पूजाकी जाती है।बता दें कि शास्त्रों में कामदेवको प्रेम कादेवता माना गयाहै। बसंत पंचमीकी तर्ज परदुनिया के अन्यदेशों में भी बसंतोत्सव से मिलता–जुलता उत्सव मनायाजाता है। वेलेंटाइंसडे भी इसीकी एक कड़ीहै। वहीं मानाजाता है कि शिवरात्रि को विवाहसे पहले इसीदिन भगवान शंकरका तिलकोत्सव हुआथा।यह ऋतु कामदेवकी ऋतु है।मान्यता है किकामदेव इस दिनसे मौसम कोमादकता से भरदेते हैं। इसदौरान मनुष्यों केशरीर में भीकई तरह केबदलाव होते हैं।इन कारणों सेइस दिन कोकई जगहों परखास कामदेव औरउनकी पत्नी रतिकी पूजा केसाथ भी मनायाजाता है औरनए खुशनुमा प्यार से भरे मौसम कास्वागत किया जाताहै।
कामदेवका पूजन
पुराण समुच्चय के अनुसारवसंत पंचमी केअवसर पर रतिऔर कामदेव पूजनगृहस्थ सुख मेंचार चांद लगानेवाला होता है।बसंतपंचमी को उत्तमवेदी पर वस्त्रबिछाकर अक्षतों का कमलदल बनाएं। उसकेअग्र भाग मेंगणेश जी औरपिछले भाग मेंवसंत स्थापित करें।फिर सबसे पहलेगणेश जी कापूजन करें। इसकेबाद पीछे वालेपुंज में रतिऔर कामदेव कापूजन शुरू करें।पहले उन परअबीर और फूलडालकर वसंत सदृशबनाएं।
मंत्र का जापकरें
शुभा रतिः प्रकर्तव्यावसंतोज्ज्वलभूषणा।
नृत्यमानाशुभा देवी समस्ताभरणैर्युता।।
वीणावादनशीलाच मदकर्पूरचर्चिता।
कामदेवस्तुकर्तव्यो रूपेणाप्रतिमो भुवि।
अष्टबाहुःस कर्तव्यः शङ्खपद्मविभूषणः।।
चापबाणकरश्चैवमदादञ्चितलोचनः।
रतिः प्रीतिस्तथा शक्तिर्मदशक्ति–स्तथोज्ज्वला।।
चतस्रस्तस्यकर्तव्याः पत्न्यो रूपमनोहराः। चत्वारश्चकरास्तस्य कार्या भार्यास्तनोपगाः। केतुश्चमकरः कार्यः पञ्चबाणमुखोमहान।
इसके बाद कामदेवऔर रति कोविविध प्रकार केफल, फूल औरपत्रादि समर्पित करें।
कामदेव का व्रत
मान्यताहै कि मदनोत्सवपर रति वकामदेव की उपासनापारिवारिक सुख–समृद्धिके लिए अत्यंतउपयोगी होती है।इसी दिन पापनाश और स्वर्गकी कामना सेएक और अनुष्ठानशुरू किया जासकता है। मन्दारषष्ठीनामक यह व्रततीन दिवसीय होताहै। भविष्योत्तरपुराण के अनुसारमाघ शुक्ल पंचमीको संपूर्ण कामनाका त्याग करदें। षष्ठी कोस्नानादि के बादब्राह्मण से अनुमतिलेकर दिन भरव्रत रखें औररात्रि में मंदारके पुष्प (आक) का भक्षण करउपवास करे। सप्तमीसुबह में स्नानव ब्रह्मण पूजनकर मंदार फूलसे अष्टदल कमलबनाकर स्वर्णनिर्मित सूर्यनारायणकी मूर्ति कीस्थापना कर पूजनकरें। बाद मेंउस मूर्ति कोकिसी ब्राह्मण कोदे दें। पुराणके अनुसार इससेसारे पाप नष्टहो जाते हैंऔर व्यक्ति मृत्युके बाद स्वर्गमें जाता है।
प्राचीनकालसे हम कामदेवकी कहानियाँ सुनतेआ रहे है, और जानते भीहै कि वोप्रेम के , सौंदर्यके देवता है, प्रेमीप्रेमिकाओं और पतिपत्नियों को अपनेप्रेम को मज़बूतकरने के लिए कामदेवकी उपासना करनीचाहिए , ठीक उसीतरह तंत्र जगतमें किसी कोअपने वश मेंकरने के लिए कामदेवकी साधना कीजाती है , क्योंकिइनको प्रेम कादेवता माना जाताहै , अतः यहकिसी व्यक्ति कोअपने वश मेंकरने के लिएइनके अनुष्ठान कोउत्तम माना जाताहै और इनकेमंत्र चमत्कारी एवंप्रभावी होते है,तथा कामदेव कीसाधना करने वालेव्यक्ति के ऊपरइसका कोई दुष्प्रभावनहीं पड़ता है, अतः इस हरसामान्य व्यक्ति भी करलेता है ,कामदेव की साधनासे पति– पत्नीके संबंध मधुरएवं अटूट होतेहै , परिणय सम्बन्धो, प्रेम सम्बन्धों को अटूटऔर उसमें प्रेमभरने के लिएकामदेव की उपासनाको उत्तम मानागया है |
कामदेव वशीकरण मंत्र
“ॐ नमः काम–देवयः सहकल सहदृशः सहमसहवन्हे धुननः जनममदर्शनंउत्कण्ठितं कुरु कुरु, दक्ष दक्षु–धरःकुसुम–वाणेनः हनःहनः स्वाहः ”
वशीकरण साधना
१–कामदेव की साधनासरल और कार्यको पूरा करनेवाली होती है, यह प्रेम केस्वामी है अतःइनसे वशीकरण ,प्रेमको पुनः प्राप्तकरना , पति पत्नीमें प्रेम बढ़ानेके लिए कामदेवकी साधना कीजाती है , अगरआप को किसीव्यक्ति विशेष को अपनेवश में करनाहै अपना मनचाहा कार्य करानाहै ,तो कामदेववशीकरण मंत्र को रोजशुद्ध होकर स्नानकर के प्रातःकालकामदेव के इसमंत्र का जपइक्कीस हजार बारकरना चाहिए ,इसमंत्र का जपइक्कीस हजार बारजप करने सेयह मंत्र सिद्धहो जाता हैजिसके बाद इसमंत्र का फलमिलता है , मंत्रसाधना के बादआप को धुप,दीप एवं हवनकरने के बादकिसी ब्राह्मण कोभोजन कराये एवंदक्षिणा दे , उसकेबाद से प्रतिदिनइस सिद्ध मंत्रका एक मालाजप करे , औरकिसी फल यहपीने की वास्तुको इस मंत्रद्वारा अभिमंत्रित करके उसव्यक्ति को देजिसे आप अपनेवश में करनाचाहते है , कुछदिनों में देखेंगेकि उस व्यक्तिकी आप कीतरफ झुकाव बढेगाऔर शीघ्र हीशुभ फल कीप्राप्ति होगी।
२–काम देवप्रेम एवं सौन्दर्य के देवताहै, पर आपअपने शत्रुओं कोनष्ट एवं उसकोअपनी तरफ जोड़नेके लिए भी” कामदेव वशीकरण मंत्र “काप्रयोग कर सकतेहै अपने शत्रुओंको अपने वशमें करने केलिए आप कोरोजना स्नान करकेशुद्ध स्थान परबैठकर कामदेव वशीकरणमंत्र का छैहजार बार जपकरना चाहिए , कुछदिनों में आपका शत्रु आपकेवश में होगा, आप की हरक्षेत्र में विजयसम्भव होगी ।
३– यदि आपकोकिसी व्यक्ति यहस्त्री या शत्रुको अपने वशमें करना है, तोकिसी अमावस्या कोएक कच्ची मट्टीकी हाडी मंगाले और घरमें सूजी काहलुवा बनाकर उसहड़िया में रखदे और उसहाडी में हल्दीका एक टुकड़ा, साबुनका एक टुकड़ा, नौ काली मिर्च,नौ लौंग डालदे और हांडीके मुँह मेंलाल कपड़ा बाँधदे और रात्रिमें उस घड़ेको घर सेदूर किसी सुनसानस्थान पर गाड़दे और मुड़कर ना देखेंऔर वापस आकरहाथ पैर धोले , यह एकप्रभावशाली वशीकरण होताहै ।
४ – यदि आपकोकिसी से प्रेमहो जाए औरउसे आप मनही मन चाहतेहो ,पर आपकह नहीं पारहे हो ऐसीस्थिति कई बारबार आती , आपउसको अपने वशमें करना चाहतेहै , उसको अपनीओर आकर्षित करनाचाहते है तोरोज सुबह स्नानकरने के उपरांतकामदेव वशीकरण मंत्र कीएक माला जपकरना चाहिए , आपको अपना सच्चाप्रेम प्राप्त होगा।
५ – अगर पतिपत्नी के बीचप्रेम के स्थानपर झगड़े होते, आप के आपसीरिश्तों में दरारआ गयी हैऔर आप परेशानहो गए हो, आप का जीवनसाथी आप सेहमेशा नाराज हीरहता है , आपउसके दिल कोजीत नहीं पारहे है ,अपनेरूठे हुए साथीको मना नहींपा रहे हैतो कामदेव वशीकरणमंत्र का दिनमें तीन बारजप करना चाहिए, सुबह ,दुपहर एवं रात्रिमें यह मंत्रआपको निरंतर एकमाह तक जपनाहोगा ,आपके दम्पतिजीवन की परेशानियां धीरे धीरेसमाप्त हो जायेगी, पति पत्नी केसम्बन्धों में मधुरताआयेगी आप काजीवन पुनः पहलेकी तरह होजायेगा । आपके झगड़े समाप्तहो जाएंगे ।
६ – आप अपनेप्रेम को अपनेवश में करनाचाहते है आपचाहते है कीआपकी पत्नी यहप्रेमिका आपसे हमेशाप्रेम करे , तोकिसी ग्रहण केपहले आप कामदेववशीकरण मंत्र का मनमें जप करतेरहे औरसात गावरोचन कोमंत्र द्वारा अभियंत्रितकरके उनका टिकालगा ले ,आपकी प्रेमिका वशीभूतहो जायेगी औरहमेशा आप सेप्रेम करती रहेगी।
७ – किसी स्त्रीके पति उसकोप्रेम नहीं करतेहै और जीवनमें अब पहलेजैसा प्रेम नहींरहा हो , तोआप को अपनेपति को अपनेवशीभूत करने केलिए ,कामदेववशीकरण मंत्र का जपकरते हुए छुहारेकी घुठली कोघिसकर उसकी बिंदीप्रातःकाल लगानी चाहिए औरअपने पति कोहँसते हुए उठानाचाहिए आपकेपति आप परमोहित हो जाएंगेऔर पहले सेअधिक प्रेम करनेलगेंगे , कामदेव अपने भक्तोंको नाराज नहींकरते ।
कामदेव बीज़ मंत्र–
यह मंत्र जपने सेव्यक्ति का शरीरसुंदर सम्मोहक बनाताहै व्यक्ति केअंन्दर आकर्षण शक्ति आजाती है प्रेममें विजय होतीहोती है , यहमंत्र तीनलाख बार जपनेसे सिद्ध होजाता है औरसभी इच्छाओं कीपूर्ति करता है।
१. ॐ क्लीं कामदेवायः नमः
२. ‘ऊँ कामदेवाय विद्महे, रतिप्रियायै धीमहि, तन्नो अनंगप्रचोदयात्।‘
३. ‘ऊँ नमो भगवते कामदेवाय यस्य यस्य दृश्यो भवामि यस्य यस्य मम मुखं पश्यति तं तं मोहयतु स्वाहा।
प्रिय पाठको आपको अगर किसी को वशमें करना है तो आप किसी बाबा,मुल्ला,ओझा के पास जाकर अपना समय व् धन व्यर्थ में खर्च न करें वैदिक धर्मानुसार इस मन्त्र को करिये और श्रद्धा रखिये लाभ शत प्रतिशत प्राप्त होगा।
Astrology And Falit Jyotish