

मेष लग्न के छठवें भाव मे सूर्य
मेष लग्न के छठवें भाव मे सूर्य ज्योतिष में छठवां भाव अच्छा नहीं माना जाता इस भाव से रोग, शत्रु और उधार के पैसे का विचार किया जाता है, जिसकी वजह से इस भाव को अच्छे भागों में नहीं गिना जाता। मेष लग्न हो और सूर्य छठवें में स्थान में विराजमान हो ऐसी स्थिति में जातक को क्या परिणाम प्राप्त होते हैं ? इसके ऊपर आज हम इस लेख में चर्चा करेंगें।
वह पाठक जिनके कुछ प्रश्न है वह हमें कमेंट करके प्रश्न पूछ सकते हैं, यह बिल्कुल फ्री है अगर आप अपनी जन्म कुंडली का विश्लेषण कराना चाहते हैं तो आप इस लेख के अंत में दिए गए नंबर पर व्हाट्सएप करके अपनी कुण्डली का विश्लेषण करवा सकते हैं।
मेष लग्न में सबसे योग करक होते हैं सूर्य
मेष लग्न वालों के लिये सूर्य सबसे अधिक योग कारक ग्रहों में आता है, इसका कारण यह है कि मेष राशि मे सूर्य उच्च का होता है। साथ ही ये पंचम भाव का स्वामी होने से अत्यंत योग कारक बन जाता है। यहाँ यह जानलेना अत्यंत आवश्यक है कि सूर्य एक क्रूर ग्रह भी है। यह जिस स्थान पर बैठता है उस स्थान से प्राप्त होने वाले फलों में कमी करता है, साथ ही जिस स्थान पर दृष्टि डालता है वहा के फलों में भी स्थिति यही रहती है।
मेष लग्न में मित्र बुध की राशि पर होते हैं सूर्य
मेष लग्न हो और छठे भाव में जब सूर्य बैठते हैं, तो यह उनके मित्र बुध की राशि कन्या होती है। यहाँ पर बैठने से जातक बहुत परिश्रम करने वाला होता है। जातक सदैव शत्रु पर विजय प्राप्त करता है। जातक में अतुल्य साहस देखने को मिलता है। छठे भाव में जब सूर्य बैठे हो तो शत्रु जातक पर कोई भी प्रभाव नहीं रखते, शत्रु कितना भी मजबूत क्यों ना हो जिस जातक की कुंडली के छठे भाव में सूर्य बैठे हो उससे हमेशा दबा हुआ रहता है।
उधारी में दबा हो सकता है ऐसा जातक
छठे भाव से ननिहाल का भी विचार किया जाता है जिन जातकों की कुंडली के छठे भाव में सूर्य विराजमान होते हैं उनकी ननिहाल में अक्सर कष्ट देखे जाते हैं। उनके मामा की स्थिति दयनीय रहती है। छठे भाव में बैठा हुआ सूर्य जातक को ऋणी बनाता है, यानी जातक उधारी में दबा हुआ होता है। संपूर्ण चिकित्सा जगत का कारक सूर्य होता है, छठे भाव में अगर सूर्य विराजमान हो तो ऐसे जातक चिकित्सा शास्त्र का अच्छा ज्ञान रखते हैं।
ऊलजलूल कार्यों में खर्च करता है अपना धन
सूर्य कुंडली के अंदर जठराग्नि का कारक भी होता है। जिन जातकों की कुंडली है सूर्य छठ में भाव में बैठा होता है उनको भूख अत्यधिक लगती है। उनका पाचन तंत्र भी मजबूत होता है। यहां पर बैठा सूर्य जातक के पैसे ऊलजुलूल कार्यों में खर्च करता है और धन की समस्या पैदा करता है। जिन जातकों की कुंडली के छठे भाव में सूर्य होते हैं वह जातक अपने मित्रों के चक्कर में पड़कर भी कर्जा ले लेते हैं।
विदेश यात्रा के बनते हैं योग
मेष लग्न के छठे भाव में सूर्य बैठकर सप्तम दृष्टि से 12वें भाव पर अपनी सप्तम दृष्टि डालते हैं 12 वें भाव में सूर्य के मित्र गुरु की राशि मीन आती है। मित्र दृष्टि से इस भाव को देखने के कारण इस भाव की वृद्धि होती है। जातक अनाप-शनाप खर्चा करता है। उसके विदेश यात्रा के योग बनते हैं। कभी-कभी ऐसा भी देखा जाता है कि जातक विदेश में ही सेटल हो जाता है, और फिर लौट कर कभी भी अपनी मातृभूमि पर नहीं आता।
अपने कर्मचारियों के लिए होते हैं अधिक कठोर
वैसे तो छटवें भाव से रोग, शत्रु और उधार की सबसे ज्यादा बात की जाती है। लेकिन सूर्य जब छठवें भाव में बैठता है तब वह रक्तचाप की बीमारी भी देता है। स्वास्थ्य में उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं। सूर्य आत्मविश्वास का कारक है, जब यह छठ में भाव में बैठ जाता है तो जातक के आत्मविश्वास में कमी देखने को मिलती है। ऐसा जातक अगर किसी नशे का आदि हो जाए तो वह सहज ही नशे को छोड़ता नहीं है। ऐसा जातक अपनी आर्थिक वृद्धि के लिए जूझता दिखाई देता है। समाज में मान सम्मान पाने की लालसा उसके अंदर बहुत प्रबल होती है। अगर वह किसी संस्थान का बॉस बना दिया जाए तो ऐसा व्यक्ति अपने नीचे काम करने वाले कर्मचारियों के लिए अत्यधिक कठोर होता है।
प्रिय पाठको आज के लेख में हमने मेष लग्न के छठे भाव में बैठे सूर्य देव के फलों के बारे में जाना। जब यह छठे भाव में विराजमान हो जाते हैं तो किस प्रकार का फल मानव जीवन पर पड़ता है। इसी कड़ी में अगले लेख में हम इसके सप्तम भाव में बैठने के ऊपर चर्चा करेंगे।
वो पाठक जो मेष लग्न के हैं और उनके सप्तम भाव में सूर्य बैठे हुए हैं। उनके लिए इन सूर्य के फल कैसे होंगे इसके ऊपर अगले लेख में चर्चा करेंगे। आप साथ बने रहिए, अगर आपका कोई विशेष प्रश्न है तो कमेंट बॉक्स में लिखकर हमें भेज सकते हैं हम उसका यथाशीघ्र जवाब देंगे। इसी के साथ जय सियाराम।
ज्योतिष संजीव चतुर्वेदी की कलम से 7983159910
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