

मेष लग्न की कुंडली में सूर्य
मेष लग्न की कुंडली में सूर्य मेष लग्न के आठवें भाव मे सूर्य का फल: प्रिय पाठकों अभी तक हम सूर्य के मेष लग्न में सप्तम भाव में बैठने तक का मानव जीवन पर क्या प्रभाव होता है इसकी जानकारी ले चुके हैं, आज इसी कड़ी में हम यह जानेंगे कि मेष लग्न हो और सूर्यदेव आठवें भाव में बैठे हों तो मानव जीवन को किस प्रकार प्रभावित करते हैं। इसके बारे में आपको बताएंगे।
कुण्डली में आठवां भाव
जन्म कुंडली का प्रत्येक भाव मानव जीवन के भिन्न-भिन्न पहलुओं के बारे में बताता है। कुण्डली के भिन्न-भिन्न भागों से भिन्न-भिन्न घटनाएं जानी जा सकती हैं। इन घटनाओं की जानकारी के लिए ये जानना अत्यंत आवश्यक हो जाता है कि कौनसे भाव से क्या विचार किया जाए। अगर एक ज्योतिषी को यह ज्ञान नहीं है कि किस भाव से क्या जानकारी लें, तो उस ज्योतिषी के द्वारा की गई भविष्यवाणी कभी भी सत्य नहीं होगी।
आठवें भाव से क्या जानकारी पा सकते हैं
कुंडली में जिस प्रकार हर भाव से कुछ ना कुछ याद किया जा सकता है इसी प्रकार कुंडली के आठवें भाव से विरासत, शोध, आयु, मृत्यु का कारण, गूढ़ विज्ञान, छुपा हुआ खज़ाना, खदान, कोयला, विनाश, रिस्क, सट्टा, निरंतरता, लॉटरी, रहस्य, तंत्र मंत्र और आध्यात्मिक वस्तुओँ के बारे में जानने के लिए जाना जाता है। अगर किसी ज्योतिषी से ऊपर लिखी हुई बातों के बारे में प्रश्नकर्ता प्रश्न करता है, तब उसे कुंडली के आठवें भाव का ध्यानपूर्वक विश्लेषण करना चाहिए जिससे उसके द्वारा बताई गई बातें सत्य होगी।
और क्या जान सकते हैं ?
इसके अलावा कुण्डली के अष्टम भाव से असाध्य रोग, जननांग के आसपास का भाग, विदेश यात्रा, परिवर्तन, उपहार, बिना कमाई संपत्ति, चाहत, अपमान, पतन, पराजय, नौकर, दुःख, आरोप, एवं व्यवधान के बारे में बताता है।
मेष लग्न में अष्टम भाव के अधिपति
जब किसी जातक की कुंडली मेष लग्न की होती है ऐसी स्थिति में अष्टम भाव में आठ नंबर की राशि विराजमान होती है ज्योतिष शास्त्र में आठ नंबर की राशि वृश्चिक है वृश्चिक राशि के स्वामी मंगल देव हैं। काल पुरूष की कुण्डली में आठवें भाव का स्वामी मंगल है, और आठवें भाव के कारक ग्रह शनि, मंगल, और चंद्रमा हैं। इस भाव में गुरुदेव बृहस्पति और सूर्य सबसे अच्छे माने जाते हैं।
मंगल देव के मित्र हैं सूर्य
सूर्य देव की मंगल से मित्रता है जब मेष लग्न में सूर्य अष्टम भाव मे बैठते हैं तब ये मित्र के घर मे विराजमान होते हैं लेकिन फिर भी यह घर अच्छे फलों के लिए नहीं जाना जाता। सूर्य पंचम भाव का स्वामी होकर अष्टम भाव में बैठने से संतान सुख में बाधा कारक होता है, ऐसे जातक को शिक्षा में भी अच्छे फल प्राप्त नहीं होते, उसको शिक्षा प्राप्त करने हेतु अथक परिश्रम करना होता है फिर भी फल अच्छे प्राप्त नहीं होते।
आठवे भाव में बैठा सूर्य पिता सुख करता है कम
सूर्य का सीधा संबंध पिता और आत्मविश्वास से होता है जिन जातकों का सूर्य अष्टम भाव में बैठ जाता है उन्हें जातकों को पिता का सानिध्य और स्नेह पूरी तरह प्राप्त नहीं होता कहीं ना कहीं उनको पिता के स्नेह में कमी दिखाई देती है वही सूर्य आत्मविश्वास का कारक होता है जब वह अष्टम भाव में बैठ जाता है तो ऐसे जातकों को आत्मविश्वास में कमी दिखाई देती है वह कोई भी निर्णय सुगमता से नहीं ले पाते उनको निर्णय लेने में कठिनाई प्रतीत होती है।
आठवे भाव में बैठा सूर्य जननांग सम्बन्धी रोग देता है
पूरे को कुंडली में कई विद्वानों में पाप ग्रह माना है कुछ विद्वान एस को क्रूर ग्रह कहते हैं जिसकी परिणामस्वरूप यह लगभग फल भी ऐसे ही प्रदान करता है सूर्य जब अष्टम भाव में बैठता है तब वह जातकों को जल्दी-जल्दी बुखार देता है। जातकों का शारीरिक तापमान सामान्य रहता है उनको जलन की भी समस्या पैदा हो सकती है अष्टम भाव से जननांग का विचार किया जाता है सूर्य के जननांग बालय भाव में बैठने से जननांग के आसपास त्वचा रोग हो सकते हैं बहुत से लोगों के बवासीर की शिकायत देखी जाती है भगंदर ऑफिसर भी सूर्य के अष्टम भाव में बैठने से होता है।
आठवे भाव में बैठा है सूर्य तो अच्छे कार्यों से पैसा कमाएं
मेष लग्न हो और सूर्य अष्टम भाव में विराजमान हो परिणामस्वरूप आकस्मिक धन लाभ के योग बिल्कुल भी नहीं बनते अगर जातक शेयर लॉटरी इन माध्यमों से पैसा कमाना चाहता है तो उसके योग्य शून्य के बराबर होते हैं जातक को चाहिए कि वह अच्छे कर्मों से पैसा कमाने की कोशिश करें यहां से बैठकर सूर्य की सप्तम दृष्टि वृषभ राशि यानी दूसरे भाव पर पड़ती है शत्रु दृष्टि से दूसरे भाव को देखने के कारण पैतृक धन में कमी उचित बैंक बैलेंस भी नहीं बन पाता।
आठवे भाव में बैठा है सूर्य तो करें ये उपाय होगा लाभ
ऐसे जातक जिनकी मेष लग्न है और उस सूर्य अष्टम भाव में विराजमान है उनके जीवन में सूर्य कैसे कल देते हैं इसके ऊपर मैंने प्रकाश डाला है अगर वह सूर्य से पीड़ित हैं तो नित्य प्रतिदिन सूर्य को को अर्घ्य दें नित्य प्रतिदिन “ॐ घृणि सूर्याय नमः” का जाप करें अच्छी किस्म का मालिक किसी प्रबुद्ध ज्योतिषी से अभिमंत्रित कराकर धारण करें पिता के नित्य चरण स्पर्श करें आपको धीमे-धीमे लाभ प्राप्त होने लगेंगे।
इस लेख से क्या जाना
प्रिय पाठको आज मैंने इस लेख में मेष लग्न के अष्टम भाव में बैठे स्कूल का जातक पर क्या प्रभाव रहता है इसके बारे में बताया अगले लेख में मेष लग्न अंतर्गत सूर्य अगर नौवें भाव में विराजमान हो तो परिणामस्वरूप जातक के जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है इसके ऊपर चर्चा करेंगे इसी के साथ इस लेख को विराम देते हैं अगले लेख में फिर मिलेंगे नमस्कार जय सियाराम।
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