मेष लग्न और ये 4 ग्रह, अब और क्या चाहिए ?

Aries मेषलग्न
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मेष लग्न और ये 4 ग्रह, अब और क्या चाहिए ?

जय सियाराम मित्रों।आज के कार्यक्रम “मेष लग्न और ये 4 ग्रह, अब और क्या चाहिए।” में, हम आपको, मेष लग्न के अंदर, उन ग्रहों के प्रभाव के बारे में बताएंगे, जो कुण्डली के भाव विशेष में होने से, सफल और प्रभावी होते हैं। इस कार्यक्रम से, हमारे मित्रों को, यह ज्ञात होगा, कि मेष लग्न की कुंडली में, कौन से ग्रह, किन परिस्थितियों में, अच्छा फल प्रदान करते हैं।

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मेषलग्न

नम:स्कार मित्रों। आप हमारे साथ अभी, “एस्ट्रोलॉजी ए डिस्कवरी” पर विजिट कर रहे हैं, आज हम मेष लग्न के अंदर, उन ग्रहों की बात करेंगे, जो निहित स्थान पर बैठें, तो शुभ फल प्रदाता होते हैं। मित्रो मेरा नाम राशि है, मैं इस कार्यक्रम में आपकी होस्ट हूं। इस कार्यक्रम में मैं, एस्ट्रोलॉजर संजीव चतुर्वेदी की ओर से, आपके साथ रहूंगी।

आईये चलीये, बिना समय बिताए, उन ग्रहों की बात करते हैं, जो मेष लग्न अंतर्गत, विशेष परिस्थितियों में शुभ फल प्रदाता होते हैं।

मेष लग्न
मंगल

सबसे पहले बात करते हैं, लग्नेश मंगल की।

मेष लग्न की कुंडली में, मंगल लग्न के स्वामी होते हुए, सर्वाधिक योग कारक ग्रहों में आते हैं। यह मंगल स्व क्षेत्रीय हों, यानी मेष अथवा वृश्चिक राशि में बैठे हो, अपनी उच्च राशि यानी मकर में विराजमान हों, अपनी मित्र राशि में हों, अथवा दिगबली यानी दशम भाव में हों तो, कुंडली में शुभ फलों की भरमार रहती है।

मंगल बनाते हैं इन परिस्थितियों में रुचक पंचमहापुरुष योग

मंगल अगर लग्न में विराजमान हों, तो ऐसी स्थिति में मांगलिक दोष का निर्माण तो करते हैं, लेकिन साथ ही साथ, “रूचक नामक” पंच महापुरुष योग का भी निर्माण करते हैं. यहाँ पर यह भी जानलेना चाहिए, कि मंगल मेषलग्न हो और मकर राशि मे बैठ जाएं तब भी “रूचक” योग बना देते हैं। पंच महापुरुष योग बनने से, ऐसा जातक, अपने मन में जो भी सोच ले या ठान ले, उसको पूरा करने की पूरी क्षमता रखता है।

मेष लग्न
मेष लग्न

अब बात करते हैं पंचमेश सूर्य की

मित्रो मेष राशि, सूर्य की उच्च राशि है, जिसकी वजह से सूर्य, मेषलग्न में अत्यंत योग कारक ग्रहों में आते हैं। मेष लग्न की कुंडली हो, और पंचम भाव में आने वाली, सिंह राशि के स्वामी सूर्य, अपनी स्वयं की राशि, अपनी उच्च राशि, अथवा अपनी मित्र राशि में बैठे हों, तो ऐसी स्थिति में, सूर्य देव अत्यंत शुभ फल प्रदान करने वाले होते हैं।

ग्रहों का क्या फल होगा

यहां पर मैं यह भी बताना उचित समझती हूं कि, अपने मित्रों को, इन ग्रहों से प्राप्त होने वाले, फल के बारे में अभी मैं नहीं बता रही हूं। इसके लिए आप थोड़ा धैर्य रखें, और मेरे साथ में बने रहें। हम आगे इस कार्यक्रम में, आपकी जिज्ञासा से सम्बंधित सभी विषय लेकर चलेंगे, इससे आप अपनी कुंडली का स्वयं विश्लेषण कर सकेंगे, ऐसा मुझे विश्वास है।

मेष लग्न
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गुरुदेव बृहस्पति

आइए मित्रो।अब बात करते हैं, मेषलग्न के तीसरे शुभप्रदाता ग्रह, गुरुदेव बृहस्पति की। मित्रो मेषलग्न की कुण्डली में, अगला शुभ फल देनेवाला जो ग्रह है, उसका नाम बृहस्पति है। मेषलग्न की कुण्डली में, बृहस्पति त्रिकोण भाव, यानी भाग्य स्थान के साथ साथ, व्यय भाव के भी स्वामी होते हैं, बृहस्पति अगर अपनी स्वयं की राशि धनु अथवा मीन में, अपनी उच्च राशि कर्क में, अपनी मित्र राशियों में हों, अथवा दिगबली हों, यानी मेष लग्न में विराजमान हों, तो सर्वोत्तम फल देने वाले होते हैं।

इस स्थिति में बना देते हैं ये योग

अगर मेष लग्न की कुण्डली में, बृहस्पति अपनी उच्च राशि कर्क में विराजमान हों, तो पंचमहापुरुष योग में से एक योग, “हंसक” का निर्माण करते हैं। बृहस्पति के बली होने से धर्म, संतान, सुख, विद्या इन सभी क्षेत्रों में अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। यहां हमारे कुछ मित्रों के मन में, यह जिज्ञासा उठ रही होगी, कि जब बृहस्पति त्रिक भाव यानी मीन राशि, यानी व्यय स्थान में बैठें, तो वह शुभ फल प्रदाता हैं, ऐसा गुरुजी कैसे कह रहे हैं ?

गुरु से बनता है यह राजयोग

तो प्रिय मित्रो। जब गुरुदेव बृहस्पति, व्यय स्थान में बैठेंगें, तो यह सत्य है कि वह जातक को खर्चीला बनाएंगे, लेकिन बृहस्पति धर्म का कारक भी है, जिसकी वजह से पैसा अच्छे कार्यों में खर्च होगा, साथ ही, बारहवे भाव का स्वामी होते हुए, गुरुदेव बृहस्पति, बारहवे भाव में विराजमान होंगे, इससे “विमल” नामक विपरीत राजयोग का निर्माण करेंगे, फलस्वरूप जातक धन संचय करने वाला होगा। तो हमारे मित्रों की जिज्ञासा शान्त अवश्य हुई होगी।

मेष लग्न
मेष लग्न

आगे बात करते हैं चंद्रमा की।

मेषलग्न की कुण्डली हो, और चंद्रमा अपनी राशि या उच्चराशि में विराजमान हों, तो अच्छे फल देने वाले होते हैं। चंद्रमा कुण्डली के दूसरे केंद्र, चतुर्थ भाव के स्वामी हैं, कुण्डली के चौथे भाव से, सुख का विचार किया जाता है। चंद्रमा कुण्डली में मन के और माता के कारक हैं। मेषलग्न की कुण्डली में, सुख स्थान के स्वामी होने से, शुभ फल देने वाले हैं।

प्रिय मित्रों यह सभी ग्रह, विशेष परिस्थितियों में अच्छे, तो विषम परिस्थितियों में, बुरे फल भी प्रदान करते हैं, इसके लिए जरूरी है, कि ज्ञान पूर्ण लिया जाए। आप हमारे साथ बने रहें, और नूतन विषयों का ज्ञान लें। कुण्डली स्वतः सब कुछ बतलाया करेगी।

इसी के साथ मुझे आज्ञा दें। आपका आने वाला दिन शुभ हो. जयसियाराम….

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  1. ग्रहों की तात्कालिक मैत्री

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