
मेष राशि का विवरण
नमस्कार जय सियाराम
प्रिय पाठकगण ! पिछले लेख में हमने अपने पाठकों को ये बताया था कि मेष राशि का भचक्र पर कितना फैलाव है और इसका निर्माण किन नक्षत्रो के मिलने से होता है जो पाठकगण इस वेबसाइट पर नवीन हैं वो हमारे पुराने लेखों को अवश्य पढ़ें आपको हर सूक्ष्म जानकारी प्राप्त होगी और जो विषय छूट गए हैं वो भी आपसे छूटे नहीं रहेंगे।
मेष राशि जैसा कि पहले ही बताया गया है कि इसका फैलाव भचक्र पर 0-30 अंश तक है और इसका निर्माण अश्विनी, भरणी नक्षत्र के 4+4 और कृत्तिका नक्षत्र के 1 (4+4+1=9) चरणों को मिलाने पर होता है मेष राशि ज्योतिष की प्रथम राशि है और इसका ज्योतिष में जो क्रमांक है वो 1 है जन्म पत्रिका में जहां पर भी 1 लिखा दिखाई दे पाठकों को स्वतः ही समझ लेना चाहिए कि इसका मतलब मेष राशि है, मेष राशि के स्वामी मंगल देव होते हैं, मेष अग्नि तत्व वाली राशि है, अग्नि त्रिकोण (मेष, सिंह, धनु) की यह पहली राशि है, इसका स्वामी मंगल अग्नि ग्रह है, राशि और स्वामी का यह संयोग इसकी अग्नि या ऊर्जा को कई गुना बढ़ा देता है, यही कारण है कि मेष राशि के जातक ओजस्वी, दबंग, साहसी, और दॄढ इच्छाशक्ति वाले होते हैं। मेष राशि वाले व्यक्ति बाधाओं को चीरते हुए अपना मार्ग बनाने की कोशिश करते हैं। मेष राशि जिन नक्षत्रों के मिलने बनती है उसका प्रभाव जातक के जीवन पर प्रभाव होता है वो निम्न प्रकार है।
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अश्विनी नक्षत्र के प्रथम चरण के अधिपति केतु-मंगल जातक को अधिक उग्र और निरंकुश बना देता है। वह किसी की जरा सी भी विपरीत बात में या कार्य में जातक को क्रोधात्मक स्वभाव देता है, फलस्वरूप जातक बात-बात में झगड़ा करने को उतारू हो जाता है। जातक को किसी की अधीनता पसंद नहीं होती है। वह अपने अनुसार ही कार्य और बात करना पसंद करता है।
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दूसरे चरण के अधिपति केतु-शुक्र, जातक को ऐसो आराम की जिन्दगी जीने के लिये मेहनत वाले कार्यों से दूर रखता है, और जातक विलासी हो जाता है।
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तीसरे चरण के अधिपति केतु-बुध जातक के दिमाग में विचारों की स्थिरता लाता है, और जातक जो भी सोचता है, करने के लिए उद्धत हो जाता है।
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चौथे चरण के अधिपति केतु-चन्द्रमा जातक में भटकाव वाली स्थिति पैदा करता है, वह अपनी जिन्दगी में यात्रा को महत्व देता है, और जनता के लिए अपनी सहायता वाली सेवाएं देकर पूरा जीवन निकल देता है ।
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भरणी के प्रथम चरण के अधिपति शुक्र-सूर्य, जातक को अभिमानी और चापलूस प्रिय बनाता है।
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दूसरा चरण के अधिपति शुक्र-बुध जातक को बुद्धि वाले कामों की तरफ और संचार व्यवस्था से धन कमाने की वॄत्ति देता है।
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तीसरे चरण के अधिपति शुक्र-शुक्र विलासिता प्रिय और दोहरे दिमाग का बनाता है, लेकिन अपने विचारों को संतुलित करने की अच्छी योग्यता भी होती है।
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चौथे चरण के अधिपति शुक्र-मंगल जातक में उग्रता के साथ विचारों को प्रकट न करने की हिम्मत देते हैं, वह हमेशा अपने मन मे ही लगातार माया के प्रति सुलगता रहता है। जीवन साथी के प्रति बनाव बिगाड हमेशा चलता रहता है, मगर जीवन साथी से दूर भी नहीं रहा जाता है।
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कॄत्तिका नक्षत्र के प्रथम चरण के अधिपति सूर्य-गुरु, जातक में दूसरों के प्रति सद्भावना और सदविचारों को देने की शक्ति देते हैं, वे अपने को समाज और परिवार में शालीनता की गिनती में आते है।
मेष राशि
इस सारणी में केतु गृह के नीचे अश्विनी,मघा,मूल तीन नक्षत्र लिखे हैं इन तीनों नक्षत्र का स्वामी केतु है इसी प्रकार अन्य को भी समझें।
आज इतना ही, आगे के लेखों में इसके आगे की चर्चा करता रहूंगा और आपको ज्योतिष संबंधित जानकारियों से अवगत कराता रहूँगा। वो पाठक जो किसी समस्या से ग्रस्त हैं हमें लिख सकते हैं हम प्रयास करेंगे कि उनके प्रश्नों के उत्तर कमेंट बॉक्स में दे सकें।
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मुझे आज्ञा दें अगले लेख में नई जानकारी के साथ प्रस्तुत अगले गुरुवार को मध्यरात्रि के बाद प्रस्तुत रहूँगा तब तक के लिए नमस्कार, जयसियाराम।
Astrologer Sanjeev Chaturvedi
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