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ये उस समय की बात है जब गोस्वामी तुलसीदास श्री रामचरितमानस लिख रहे थे भगवान श्री राम के परम भक्त श्री बजरंगबली महाराज नित्य प्रातः तुलसीदास जी के पास आते और वो इस रामायण को गाकर सुनाते थे और तुलसीदास जी उसको कलम बद्ध करते जाते थे। इसके लिए तुलसीदास जी ब्रह्म महूर्त मैं उठ कर नित्यक्रिया से निवृत्त हो कर प्रभु श्री राम जी का भजन करते और श्री बजरंगवली महाराज के आने की प्रतीक्षा करते।
भोगों को भोगते चलो
ये उस समय की बात है जब गोस्वामी तुलसीदास श्री रामचरितमानस लिख रहे थे भगवान श्री राम के परम भक्त श्री बजरंगबली महाराज नित्य प्रातः तुलसीदास जी के पास आते और वो इस रामायण को गाकर सुनाते थे और तुलसीदास जी उसको कलम बद्ध करते जाते थे। इसके लिए तुलसीदास जी ब्रह्म महूर्त मैं उठ कर नित्यक्रिया से निवृत्त हो कर प्रभु श्री राम जी का भजन करते और श्री बजरंगवली महाराज के आने की प्रतीक्षा करते।
एक दिन बजरंगबली महाराज तुलसीदास जी के घर पर नित्य की ही भाँति पहुंचे, किन्तु उनको बड़ा ही आश्चर्य हुआ आज तुलसीदास जी नित्य की भाँति उनकी प्रतीक्षा नहीं कर रहे थे, वरन अपने आश्रम से नियत स्थान पर भी नहीं आये थे, बजरंगबली जी को बड़ा आश्चर्य हुआ उन्होंने तुलसीदास जी को दरवाजे पर जाकर पुकार लगाई, बजरंगबली की पुकार सुनकर तुलसीदास जी का उत्तर में करूँण स्वर बाहर आया और वो कुछ बिलम्ब के बाद बहार आये, उन्होंने बजरंगबली का अभिवादन किया, बजरंगबली ने उनके चेहरे पर पीड़ा के भाव देख पूँछा “तुलसीदास जी ! आज कुछ स्वस्थ ठीक नहीं है क्या ?” तो जबाब में तुलसीदास जी ने कहा “भगवन ! कल से भुजा के अंदर वाली ओर एक फोड़ा (गांगन, कखियाउर, बगल में फोड़ा होना) हो गया है जिसके चलते असहनीय पीड़ा है और उसके कारण से ज्वर (बुखार) भी है” इतना सुन कर बजरंबली महाराज बोले “ठीक है तुलसीदास जी आप विश्राम कीजिये मैं चलता हूँ फिर आऊँगा” ये सुनकर तुलसीदास जी बोले “प्रभु आप तो सर्व समर्थवान हो आप मुझे इस पीड़ा से मुक्ति नहीं दिला सकते क्या ?” तुलसीदास जी की बात सुन कर बजरंगबली महाराज मुस्कुराये और बोले “तुलसीदास जी ये तो पूर्व जन्म के किये कर्मों के भोग हैं मैं इनकी पीड़ा से आपको आज मुक्त तो कर सकता हूँ किन्तु अभी ये भोग भोगलो इसी में ही आपकी भलाई है” तुलसीदास जी बजरंगबली का उत्तर सुन कर हतप्रभ रह गए और बोले “वो कैसे भगवन” बजरंगबली महाराज ने कहा “देखो तुलसीदासजी पूर्वजन्म में हुए कार्यों का भोग अगले जन्म में भोगना ही पड़ता है, अब अगर आप का भोग इस जन्म में पूरा न हो पाए तो अगले जन्मो में ब्याज सहित मिलता है और उसको मैं मिटा दूँ तो ये अभी तत्काल तो मिट जायेगा किन्तु तुम्हारे खाते में बना रहेगा और इस भोग के ऊपर ब्याज और चलती रहेगी अतः आज जो पीड़ा स्वतः प्रभु आपको दे रहे हैं ये ब्याज मुक्त है अतः आज ही भोग लो अति शीघ्र इससे निवृत्त हो जाओगे अन्यथा अगले जन्म में ब्याज सहित मिलेगा तो जब अभी इतने व्याकुल हो तो तब क्या होगा ? अब बताओ आप, कहो तो पीड़ा का नाश करूँ ?” तुलसीदास जी बजरंगबली के चरणों में गिर गए और बोले “प्रभु भोग इसी जन्म में भोगेंगे इन भोगों पर ब्याज नहीं देना”।
प्रिय पाठको भोगों को इसी जन्म में भोगने का साहस रखिये कम से कम ब्याज तो नहीं देना
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जय श्रीराम
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