
बुध गृह और उसकी उपासना
बुध का जन्म
चंद्रमा के गुरुथे देवगुरु बृहस्पति। बृहस्पति की पत्नीतारा चंद्रमा की सुंदरता पर मोहितहोकर उनसेप्रेम करनेलगी। तदोपरांत वह चंद्रमा के संगसहवास भीकर गईएवं बृहस्पति को छोड़ही दिया।बृहस्पति केवापस बुलाने पर उसनेवापस आनेसे मनाकर दिया, जिससे बृहस्पति क्रोधित होउठे तबबृहस्पति एवंउनके शिष्यचंद्र केबीच युद्धआरंभ होगया। इसयुद्ध मेंदैत्य गुरु शुक्राचार्य चंद्रमा कीओर होगये औरअन्य देवताबृहस्पति केसाथ होलिये। अबयुद्ध बड़ेस्तर परहोने लगा।क्योंकि यहयुद्ध ताराकी कामनासे हुआथा, अतः यह तारकाम्यम कहलाया। इसवृहत स्तरीय युद्ध सेसृष्टिकर्त्ता ब्रह्मा को भयहुआ किये कहींपूरी सृष्टि को हीलील न कर जाए, तो वेबीच बचावकर इसयुद्ध कोरुकवाने काप्रयोजन करनेलगे। उन्होंने तारा कोसमझा–बुझाकर चंद्रसे वापसलिया औरबृहस्पति कोसौंपा। इसबीच ताराके एकसुंदर पुत्रजन्मा जोबुध कहलाया। चंद्र औरबृहस्पति दोनोंही इसेअपना बतानेलगे औरस्वयं कोइसका पिताबताने लगेयद्यपि ताराचुप हीरही। माताकी चुप्पी से अशांतव क्रोधित होकर स्वयंबुद्ध नेमाता सेसत्य बतानेको कहा।तब ताराने बुधका पिताचंद्र कोबताया।
दूसरे मतसे ताराबृहस्पति कीपत्नी थी।चंद्र उनकेसौंदर्य सेमोहित होकरविवाह प्रस्ताव दिया तोहवे ठुकरादिया। इससेचंद्र क्रोधित हो परेऔर बलपूर्वक उनका बलात्कार किया।इस बलात्कार के कारणतारा गर्भवती हुई ओरबुध काजन्म हुआ।
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बुध का जीवन
नक्षत्र मण्डलों में बुधका स्थाणबुध मण्डलमें है।चंद्र नेबालक बुधको रोहिणी और कृत्तिका नक्षत्र–रूपीअपनी पत्नियों को सौंपा। इनके लालनपालन मेंबुध बड़ाहोने लगा।बड़े होनेपर बुधको अपनेजन्म कीकथा सुनकरशर्म व ग्लानि होनेलगी। उसनेअपने जन्मके पापोंसे मुक्ति पाने केलिये हिमालय में श्रवणवन पर्वत परजाकर तपस्या आरंभ की।इस तपसे प्रसन्न होकर विष्णु भगवान नेउसे दर्शनदिये। उसेवरदान स्वरूप वैदिक विद्याएं एवं सभीकलाएं प्रदान कीं। एकअन्य कथाके अनुसार बुध कालालन–पालनबृहस्पति नेकिया व बुध उनकापुत्र कहलाया। ज्योतिष शास्त्र मेंबुद्ध कोएक शुभग्रह मानाजाता है।किसी हानिकर या अशुभकारी ग्रह केसंगम सेयह हानिकर भी होसकता है।बुध मिथुनएवं कन्याराशियों कास्वामी हैतथा कन्याराशि मेंउच्च भावमें स्थितरहता हैतथा मीनराशि मेंनीच भावमें रहताहै। यहसूर्य औरशुक्र केसाथ मित्रभाव सेतथा चंद्रमा से शत्रुतापूर्ण और अन्यग्रहों केप्रति तटस्थरहता है।यह ग्रहबुद्धि, बुद्धिवर्ग, संचार, विश्लेषण, चेतना (विशेष रूप सेत्वचा), विज्ञान, गणित, व्यापार, शिक्षा औरअनुसंधान काप्रतिनिधित्व करताहै। सभीप्रकार केलिखित शब्दऔर सभीप्रकार कीयात्राएं बुधके अधीनआती हैं।बुध तीन नक्षत्रों का स्वामी है अश्लेषा, ज्येष्ठ
और रेवती (नक्षत्र)। हरेरंग, धातु, पीतल औररत्नों मेंपन्ना बुद्धकी प्रियवस्तुएं हैं।इसके साथजुड़ी दिशाउत्तर है, मौसम शरदऋतु औरतत्व पृथ्वी है। ज्योतिष शास्त्र में, बुध देवताओं का संदेशवाहक है। बुध सूर्य का निकटतम ग्रह है। भारतीय परंपरा में बुध ग्रह को बुद्धि का प्रदाता कहा गया है। बुध ग्रह के लक्षण की बात करें तो यह व्यक्ति में बुद्धि, विवेक, हाज़िरजवाबी और हास्य–विनोद का प्रतिनिधित्व करता है। यह एक शुभ ग्रह है लेकिन कुछ स्थितियों में बुध अशुभ ग्रह में बदल सकता है। बुध कम्युनिकेशन का ग्रह है। क्षेत्रों का प्रतीक है एक शक्तिशाली बुध आपके जीवन के व्यापार,वाणिज्य,कॉमर्स,व्यापार, खाते, बैंकिंग, मोबाइल, नेटवर्किंग, कंप्यूटर आदि से संबंधित क्षेत्रों में सफलता का प्रतीक है। ताकतवर बुध वाले लोग तेज दिमाग के होने की वजह से उनके सोचने की शक्ति अच्छी होती है। लेकिन, इनकी एक समस्या यह होती है कि ये चिंता और अनिश्चितता से प्रभावित होते हैं।
बुध ग्रह के प्रभाव
बुध एक दोहरी प्रकृति का ग्रह है। बुध ग्रह ज्योतिष में दो राशि चिह्न अर्थात् कन्या और मिथुन पर अपना नियंत्रण रखता है। हाथ, कान, फेफड़े, तंत्रिका तंत्र, त्वचा आदि शरीर के अंग बुध से प्रभावित हैं। बुध तर्क को दर्शाता है। वे लोग जिनकी कुंडली में बुध एक मजबूत स्थिति में होता है वे समझदार, तर्क–वितर्क में कुशल और एक बेहद अच्छी विश्लेषणात्मक क्षमता वाले होते हैं।
बुध से संबंधित व्यापार–व्यवसाय
बुध, टेलीफोन, टेलीग्राफ, ई मेल, कूरियर और अन्य प्रकार की पोस्ट से संबंधित कार्यों को भी नियंत्रित करता है। अच्छी तरह से मजबूत बुध लेखकों, ज्योतिषियों, न्यूज़ रिपोर्टरों, मीडिया व्यक्तियों, गणितज्ञों, चार्टर्ड एकाउंटेंट्स, वकीलों, डीलरों, दलालों, व्यापारियों, आदि की कुंडलियों में देखा जाता है। इसी प्रकार, कई सफल कलाकार, मूर्तिकार और विक्रेताओंकी जन्म कुंडली में भी बुध की अच्छी स्थिति देखने को मिलती है।
नौ ग्रहों में राजकुमार की पदवी प्राप्त एक राशि में बुध का भ्रमण काल एक महीने
पूरे राशि चक्र में बुध का भ्रमण काल 12 महीने प्रकृति द्वंद्व, दोहरापन बुध नक्षत्र आश्लेषा, ज्येष्ठ, रेवती
मित्र ग्रह सूर्य, शुक्र और राहु शत्रु ग्रह चंद्रमा वे ग्रह जिनके साथ बुध का तटस्थ संबंध है मंगल, शनि और बृहस्पति बुध की स्वराशि मिथुन, कन्या राशि मूल त्रिकोण राशि कन्या राशि बुध की उच्च राशि कन्या राशि बुध की नीच राशि मीन राशि बुध की मुख्य विशेषताएं बुद्धिमत्ता, तर्क, भाषण और वाणी बुध का कारक भाव दूसरा भाव धातु: सीसा बुध रत्न हरा पन्ना विंशोत्तरी दशा अवधि: 17 वर्ष कुंडली में बुध की शुभ स्थिति दर्शाती है बिजनेस माइंड, चतुराई, ज्ञान, दिमागी ताकत, अक्लमंदी,समझदारी, गणितीय प्रतिभा व कौशल
बुध कमजोर होने के लक्षण
समझनेे में परेशानी, कम्युनिकेशन की समस्या, सुस्ती संबंधों का प्रतिनिधित्व: बहन, छोटे बच्चे संबंधित शरीर के अंग: त्वचा, तंत्रिका तंत्र बुध के रोग: त्वचा की समस्याएं, जुनून, चक्कर आना, वाणी विकार, सुध बुध खोना, समझने की शक्ति में कमी
बुध ग्रह के मंत्र:
1. ऊँ उद्बुध्यस्वाग्ने प्रतिजागृहि त्वमिष्टापूर्ते ससृजेथामयं च ।
अस्मिन्त्सधस्थे अध्युत्तरस्मिन्विश्वे देवा यजमानश्चसीदत ।।
2. प्रियंगुकलिकाश्यामं रुपेणाप्रतिमं बुधम ।
सौम्यं सौम्यगुणोपेतंतं बुधं प्रणमाम्यहम।।
3. ऊँ चन्द्रपुत्राय विदमहेरोहिणी प्रियाय धीमहि तन्नोबुध: प्रचोदयात ।
4. ऊँ ऎं स्त्रींश्रीं बुधाय नम:
5. ऊँ ब्रां ब्रीं ब्रौंस: बुधाय नम:
6. ऊँ स्त्रीं स्त्रीं बुधायनम:
7. ऊँ बुं बुधायनम:
बुध मंत्र जप संख्या 5,000 बार
बुध ग्रह के उपाय हेतु दान हरा कपड़ा, हरी सब्जियां, दालें, गाय के लिए हरी घास
बुध ग्रह के देवता बुध को मजबूत करने के लिए भगवान विष्णु की पूजा करें
बुधवार व्रत कथा, बुधवार व्रत विधि व पूजन विधि
बुधवार का व्रत बुध ग्रह को शांत करने के लिए विशेष फलदायी माना जाता है। बुधवार के दिन बुद्ध देव के साथ भगवान गणेश की पूजा की जाती है। ज्ञान, कार्य, बुद्धि, व्यापार आदि में प्रगति के लिए बुधवार व्रत बेहद शुभ और फलदायी माना जाता है।
बुधवार व्रत विधि
अग्नि पुराण के अनुसार बुध–संबंधी व्रत विशाखा नक्षत्रयुक्त बुधवार को आरंभ करना चाहिए और लगातार सात बुधवार तक व्रत करना चाहिए। बुधवार का व्रत शुरू करने से पहले गणेश जी के साथ नवग्रहों की पूजा करनी चाहिए। व्रत के दौरान भागवत महापुराण का पाठ करना चाहिए। बुधवार व्रत शुक्ल पक्ष के पहले बुधवार से शुरू करना अच्छा माना जाता है। इस दिन प्रातः उठकर संपूर्ण घर की सफाई करें। तत्पश्चात स्नानादि से निवृत्त हो जाएँ। इसके बाद पवित्र जल का घर में छिड़काव करें। घर के ही किसी पवित्र स्थान पर भगवान बुध या शंकर भगवान की मूर्ति अथवा चित्र किसी कांस्य पात्र में स्थापित करें। तत्पश्चात धूप, बेल–पत्र, अक्षत और घी का दीपक जलाकर पूजा करें।व्रत करने वाले को हरे रंग की माला या वस्त्रों का अधिक प्रयोग करना चाहिए।
व्रत के दिन बुध मंत्र ‘ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाये नम:’ का 5,000 बार या 5 माला जप करें।या फिर इस मंत्र से बुध की प्रार्थना करें– बुध त्वं बुद्धिजनको बोधदः सर्वदा नृणाम्। तत्वावबोधं कुरुषे सोमपुत्र नमो नमः॥
पूरे दिन व्रत कर शाम के समय फिर से पूजा कर एक समय भोजन करना चाहिए। बुधवार व्रत में हरे रंग के वस्त्रों, फूलों और सब्जियों का दान देना चाहिए। इस दिन एक समय दही, मूंग दाल का हलवा या हरी वस्तु से बनी चीजों का सेवन करना चाहिए।
बुधवार व्रत कथा :-
एक समय की बात है एक साहूकार अपनी पत्नी को विदा कराने के लिए अपने ससुराल गया। कुछ दिन वहां रहने के उपरांत उसने सास–ससुर से अपनी पत्नी को विदा करने के लिए कहा किंतु सास–ससुर तथा अन्य संबंधियों ने कहा कि “बेटा आज बुधवार है। बुधवार को किसी भी शुभ कार्य के लिए यात्रा नहीं करते।” लेकिन वह नहीं माना और हठ करके बुधवार के दिन ही पत्नी को विदा करवाकर अपने नगर को चल पड़ा। राह में उसकी पत्नी को प्यास लगी, उसने पति से पीने के लिए पानी मांगा। साहूकार लोटा लेकर गाड़ी से उतरकर जल लेने चला गया। जब वह जल लेकर वापस आया तो वह बुरी तरह हैरान हो उठा, क्योंकि उसकी पत्नी के पास उसकी ही शक्ल–सूरत का एक दूसरा व्यक्ति बैठा था।पत्नी भी अपने पति को देखकर हैरान रह गई। वह दोनों में कोई अंतर नहीं कर पाई। साहूकार ने पास बैठे शख्स से पूछा कि तुम कौन हो और मेरी पत्नी के पास क्यों बैठे हो? उसकी बात सुनकर उस व्यक्ति ने कहा– अरे भाई, यह मेरी पत्नी है। मैं अपनी पत्नी को ससुराल से विदा करा कर लाया हूं, लेकिन तुम कौन हो जो मुझसे ऐसा प्रश्न कर रहे हो? दोनों आपस में झगड़ने लगे। तभी राज्य के सिपाही आए और उन्होंने साहूकार को पकड़ लिया और स्त्री से पूछा कि तुम्हारा असली पति कौन है? उसकी पत्नी चुप रही क्योंकि दोनों को देखकर वह खुद हैरान थी कि वह किसे अपना पति कहे? साहूकार ईश्वर से प्रार्थना करते हुए बोला “हे भगवान, यह क्या लीला है?”तभी आकाशवाणी हुई कि मूर्ख आज बुधवार के दिन तुझे शुभ कार्य के लिए गमन नहीं करना चाहिए था। तूने हठ में किसी की बात नहीं मानी। यह सब भगवान बुधदेव के प्रकोप से हो रहा है।साहूकार ने भगवान बुधदेव से प्रार्थना की और अपनी गलती के लिए क्षमा याचना की। तब मनुष्य के रूप में आए बुध देवता अंतर्ध्यान हो गए। वह अपनी स्त्री को घर ले आया। इसके पश्चात पति–पत्नी नियमपूर्वक बुधवार व्रत करने लगे।जो व्यक्ति इस कथा को कहता या सुनता है उसको बुधवार के दिन यात्रा करने का कोई दोष नहीं लगता और उसे सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है।
बुध देव की आरती
आरती युगलकिशोर की कीजै। तन मन धन न्यौछावर कीजै॥
गौरश्याम मुख निरखन लीजै। हरि का रूप नयन भर पीजै॥
रवि शशि कोटि बदन की शोभा। ताहि निरखि मेरो मन लोभा॥
ओढ़े नील पीत पट सारी। कुजबिहारी गिरिवरधारी॥
फूलन सेज फूल की माला। रत्न सिंहासन बैठे नन्दलाला॥
कंचन थार कपूर की बाती। हरि आए निर्मल भई छाती॥
श्री पुरुषोत्तम गिरिवरधारी। आरती करें सकल नर नारी॥
नन्दनन्दन बृजभान किशोरी। परमानन्द स्वामी अविचल जोरी॥
इस दिन एक समय दही, मूंग दाल का हलवा या फिर हरी वस्तु से बनी चीजों का सेवन करना चाहिए। केवल एक समय भोजन करना चाहिए।
प्रिय पाठको जिन लोगों की कुण्डली में बुधदेव कमजोर हैं, या ६. ८. १२. भाव में बैठे हैं या अकारक गृह हैं अथवा अस्त या मृत अवस्था में हैं वो लोग बुध देव की पूजा करें, जप करें लाभ होगा।