जब मनुष्य से हारे यम

loard%2Bkrishna

जब मनुष्य से हारे यम


एक बार एक हाथी मर कर यम के दरबार में प्रस्तुत हुआ यम ने उसको बड़े ही गौर से देखा और पूंछा “तुमने अपने प्राण त्यागने में इतना बिलम्ब क्यों किया कि तुमको जबरन खींच कर यहाँ लाना पड़ा” इस पर हाथी बोला “भगवन आप नहीं जानते, ये जो मनुष्य रूपी प्राणी है इसको जाने कौन सी घड़ी में बनाया है, यह सबके ऊपर शासन करता है और न किसी को चैन से जीने देता है और न ही चैन से मरने देता है” हाथी की बात सुनकर यम ने बड़े बिस्मित होकर पूंछा “ऐसा क्या है ? यहाँ तो प्रति दिन बहुत से मनुष्य आते हैं, किन्तु कोई उपद्रव नहीं करता तुम मिथ्या ही मनुष्य के ऊपर दोषारोपण क्यों कर रहे हो ?” यह सुनकर हाथी बोला “प्रभु यहाँ मनुष्य मरने के बाद आते हैं जिन्दा बुलाके देखो तब पता चले” यमराज को हाथी के द्वारा बोला गया वाक्य बहुत ही चुभ गया, उन्होंने अपने दूतों को आदेश दिया कि “जाओ मृत्युलोक से एक जिन्दा मनुष्य लेकर आओ” यम के दूत चल दिए यम की आज्ञा से जीवित मनुष्य को लेने के लिए। वो जिसके पास भी जाकर अपना परिचय देते और यमलोक चलने की बात कहते लोग उनके पास से भाग खड़े होते उनको ऐसा मनुष्य ढूंढें नहीं मिल रहा था जिसको वो जिन्दा यम के दरबार में ले जाकर प्रस्तुत करदेते बहुत परेशान-हताश वो एक सेठ जी के घर के चबूतरे पर जाकर बैठ गए वह सेठ जी बहुत ही पहुंचे हुए कंजूस थे कभी कोई दान पुण्य तो दूर की बात उन्होंने कभी किसी की सपने मैं भी सहायता नहीं की थी। उन सेठ जी ने अपने चबूतरे पर बैठे यमदूतों के चेहरों को गौर से देखा उनके चेहरे से ये पता चल रहा था कि वो बहुत परेशान हैं सेठ जी ने उनके परेशानी से भरे चहरे को देखा और पूँछा “क्यों आगंतुक कहाँ से आये हो ? और परेशान कैसे हो ?” सेठ जी की बात सुनकर यमदूतों ने अपनी परेशानी बताई और बोले “क्या आप हमारे साथ चलेंगें ?” थोड़ा सोचने के बाद सेठजी बोले “चला तो चलूँगा किन्तु” यमदूत बोले “किन्तु क्या ?” सेठ बोले “सारा नगर मुझे सेठ करोड़ीमल के नाम से जानता है और साथ में ये भी जानता है कि बिना सेठानी को बताये मैं घर से कहीं भी नहीं जाता अगर मैं उसको बता आऊं तो चल सकता हूँ ” यमदूतों ने कहा “ठीक है हमें कोई परेशानी नहीं है” सेठ जी घर के अंदर चले गए कुछ समय उपरांत वो वापस आये और यमदूतों के साथ चल दिए। 
चलते-चलते वो लोग यमराज के दरबार में पहुँचे, यमराज की निगाह जैसे ही सेठ पर पड़ी उन्होंने सेठ से कहा “अरे वाह सेठ करोड़ीमल आये हैं” इससे ज्यादा यमराज कुछ बोल पाते उससे पहले ही करोड़ीमल ने अपनी जेब से एक कागज निकाल कर यमराज को थमाया और बोला “बात बाद में करना पहले ये पढ़ो” यमराज ने कागज खोल के देखा उसमे लिखा था “मैं श्रीहरि विष्णु आपको पद से हटाता हूँ और आपकी जगह आज से नया यमराज सेठ करोड़ीमल को नियुक्त करता हूँ और ये दण्ड आपकी उस गलती के लिए है जो कि तुमने मृत्युलोक से एक जीवित मनुष्य को यहाँ बुलाया है” नीचे विष्णु जी की मोहर लगी थी और उनके हस्ताक्षर हो रहे थे, ऐसा पढ़कर यमराज नीचे आ गए और यमराज की कुर्सी पर सेठ करोड़ीमल बैठ गए उन्होंने चित्रगुप्त को आदेश दिया कि  “आयु का खाता दिखाओ” चित्रगुप्त ने खाता दिखाया उन्होंने तुरत अपना खाता देखा करोड़ीमल की आयु १०० वर्ष लिखी थी उसपर करोड़ीमल ने एक शून्य (०) बढ़ाकर अपनी उम्र १००० वर्ष की, उसके बाद उन्होंने चित्रगुप्त से पूंछा “ये एक दरवाजे से रोने की आवाजें और एक दरवाजे से मनोरजन की आवाजें कैसी आ रही हैं ?” चित्रगुप्त ने कहा “महाराज रोने वाले नरक भोग रहे हैं इन्होने अपने जीवन में कोई दान पुण्य नहीं किया और मनोरंजन वाले स्वर्ग भोग रहे हैं इन्होने दान पुण्य किये हैं “करोड़ीमल बोले “ऐसा मेरे राज्य में नहीं चलेगा नरक के आधे लोग स्वर्ग में भेजो और स्वर्ग के आधे लोग नर्क में भेजो सबको समानता का अधिकार मिलेगा मेरे राज्य में” करोड़ीमल रुपी यमराज का आदेश सुनकर तुरंत पालन किया गया आधे स्वर्ग से नर्क और आधे नर्क से स्वर्ग में कर दिये गए यमलोक में जैसे ही अफरा तफरी मची तो विष्णु जी छीरसागर से तुरंत  दौड़ पड़े, उन्होंने यमलोक में देखा कि, करोड़ीमल यमराज के सिंघासन पर बैठा है और यमराज उसके सामने हाथ जोड़े खड़े हैं, उन्होंने यमराज से पूंछा “ये सब क्या है यमदेव ?” यमदेव ने वो कागज जो थोड़ी देर पहले करोड़ीमल श्रीहरि विष्णु जी का पत्र कहकर यमराज के हाथ में थमाया था वो विष्णु जी को दिखाया विष्णु जी ने पत्र पढ़ा और पूंछा “आपने जिन्दा मनुष्य यहाँ क्यों बुलाया ?” और यमराज को ये भी बताया कि “ये पत्र भी मैंने नहीं लिखा ये इसी करोड़ीमल के द्वारा लिखा गया होगा इसको नीचे मृत्युलोक में फेंको” इतना सुनकर यमराज ने करोड़ीमल को पकड़ा और नीचे धक्का देने लगे और क्रोध में आकर बोले “जब तू मरने के बाद ऊपर आएगा तब तुझे बताऊंगा” यमराज की बात सुनकर करोड़ीमल हंसा और बोला “मेरी उम्र १००० वर्ष है तुम मेरा अभी कुछ भी नहीं कर सकते जब मरूंगा तभी तो देखोगे तब का तब देखेंगे” यमराज ने उसको नीचे फेंक दिया हाथी हंस कर बोला “देखा महाराज ये तो एक ही जिन्दा बुलाया था यहाँ, अगर कहीं सारे यहीं आ जायें तो क्या हो” यह सुनकर यमराज बोले “मरके आने दो इसको नरक मैं ही भेजूंगा” हाथी बोला “देखेंगे प्रभु”।   
जीते-जीते करोड़ीमल को ९९५ वर्ष हो गए वो अपना जीवन यथावत जैसे पहले जीता था वैसे ही जीता रहा था एक दिन उसने देखा एक कसाई एक बहुत ही दुर्वल मरणासन्न गाय को खींचकर ले जा रहा है और उस गाय के मस्तक पर केवल एक ही सींग है करोड़ीमल ने उस कसाई को रोका और उस गाय का सौदा करलिया और एक ब्राह्मण को वो गाय दान कर दी कुछ दिन बाद गाय अपनी स्वाभाविक मौत मर गई। 
धीरे-धीरे करोड़ीमल के मरने का समय आ गया यमदूत आये और करोड़ीमल के प्राण लेकर चलदिए यमराज बड़े ही व्याकुलता से करोड़ीमल के प्राणों की प्रतीक्षा कर रहे थे जैसे ही करोड़ीमल आया यमराज उसको पकड़कर नर्क की और चल दिए करोड़ीमल ने पूंछा “यमदेव मुझे लेकर कहाँ जा रहे हो ?” यमराज बोले “नर्क” करोड़ीमल बोला “हैं ! ऐसे कैसे ? बड़े आये नर्क भेजने वाले मैं तो स्वर्ग जाऊँगा” यमराज कुढ़ गए और क्रोध में आकर बोले “अपने पूरे जीवन मैं कुछ दान पुण्य किया तूने” करोड़ीमल बोला “मैंने गौ दान की है” यमराज करोड़ीमल की बात सुनकर अंदर तक जल गए और कुढ़ते हुए बोले “चल मैं तुझे उसी गाय के पास ले चलता हूँ उसी गौ से स्वर्ग छोड़कर कोई ३ वरदान मांग ले किन्तु तुझे दूंगा नर्क ही” कहकर यमराज करोड़ीमल को एक मैदान में ले गए वहां बहुत सारे पशु घास खा रहे थे वहीँ पर वो गाय भी दिखाई दी जिसको करोड़ीमल ने दान किया था करोड़ीमल उस गाय को देखते ही पहचान गया उस गाय के मस्तक पर एक सींग था, करोड़ीमल उस गाय के पास गया और जा कर बोला “हे गौ माता ! मुझे आप से तीन वरदान के लिए यमराज ने बोला है अतः पहला वरदान तो ये दीजिये की ये जो आपका एक सींग है ये यमराज के पेट में घुस जाय” और ऐसा ही हुआ गाय का सींग तुरंत यमराज के पेट में घुस गया यमराज पीड़ा से कराहने लगे करोड़ीमल ने अपना दूसरा वरदान माँगा कि “ये जो आपका एक सींग है अब एक की जगह दो अलग-अलग हो जाएं जैसे सामान्य गायों के होते हैं “ अबतो यमराज के पेट के दो हिस्से हो गए और यमराज गाय के सींग के ऊपर लटके हुए जोर-जोर से चिल्लाने लगे करोड़ीमल मैं मर जाऊंगा बहुत पीड़ा हो रही है सींग बहार निकलवाओ और करोड़ीमल ठहाके मार मार के हंसने लगा अब बारी करोड़ीमल की थी करोड़ीमल बोला “पहले ये बताओ स्वर्ग दोगे या नर्क ?” यमराज बोला ये बाद में पूंछना पहले सींग बहार निकलवाओ करोड़ीमल बोला “नहीं पहले मुझे ये बताओ की स्वर्ग दोगे या नर्क ?” यमराज बहुत परेशान वो बार-बार करोड़ीमल से सींग बहार निकलने की प्रार्थना करें और करोड़ीमल का वही प्रश्न “पहले ये बताओ स्वर्ग दोगे या नर्क ?” पीड़ा से छटपटाते यमराज बोले “मेरी पीड़ा का अंत करो करोड़ीमल मैं तुमको स्वर्ग ही दूंगा मैं तुमसे हारा भाई” करोड़ीमल बोला “ऐसे नहीं पहले वचन दो” यमराज बोले “वचन दिया” करोड़ीमल गाय के पास जाकर बोला  “हे गौ माता आपका सींग पहले जैसा होकर बहार आ जाये” और ठीक वैसा ही हुआ जैसा करोड़ीमल ने कहा, यमराज ने रहत की साँस ली और करोड़ीमल को स्वर्ग में भेजदिया हाथी हंसा और बोला “देखा महाराज ये हैं मनुष्य”।    

कथा अगर अच्छी लगी हो तो शेयर करे, कमेंट करें, गूगल प्लस पर फॉलो करें फेसबुक पेज को लिखे करें।  

bhaktikathain@gmail.com

call%2Bus


Astrology And Falit Jyotish

Leave a Reply

Translate »
Scroll to Top
Bhag 1 Mesh Lagna me Dhan yog Today Horoscope 13 Nov 2023 Astrological Yogas Part 1 मेष लग्न में बैठे सूर्य Know Your Galaxy Today Horoscope 14 Nov 2022 Today Horoscope 13 Nov 2022
%d bloggers like this: