
ज्योतिष और ज्ञान
ग्रहों की मूल त्रिकोण राशि
प्रिय पाठको जयसियाराम,
जैसा की लेख का शीर्षक है ” ग्रहों की मूल त्रिकोण राशि ” इससे आपक ये तो समझ ही चुके हैं की आज का जो विषय है वो इन्ही मूल त्रिकोण राशियों पर आधारित है, ये जो लेख मैं लिखता हूँ ये उन पाठकों के लिए तो बिलकुल भी नहीं हैं जो ज्ञानवान ये मेरे जैसे साधारण व्यक्ति के द्वारा दी जा रही जानकारी है जिसको यह लेख अच्छे लगें वो इनको आत्मसात करें और जिनको ये नीरस लगें उनसे मैं क्षमा प्रार्थी हूँ कि उनकी कसौटी पर में खरा नहीं उतर सका।
तो बात को ज्यादा न खींचते हुए आपको सीधे विषय की और लेकर चलते हैं हर ग्रह एक निश्चित राशि में जाकर मुदित यानि प्रसन्न होता है और निश्चित रहियों में जार अप्रसन्न भी होता है हम आपको अपने पूर्व के लेख में ये तो बता चुके हैं कि कौनसा ग्रह किस राशि में जाकर उच्च का होता है और जब ग्रह उच्च का होता है तब वह अच्छे फल देता है अपनी उच्च राशि में होने पर गृह सबसे बली होता है और सबसे अच्छे फल प्रदान करता है इसी कड़ी में जब ग्रह अपनी मूल त्रिकोण राशि में होता है तब भी शुभ परिणाम प्राप्त होते लेकिन अगर मूल त्रिकोण राशि में विराजमान ग्रहों का अगर उच्च राशि में विराजमान ग्रहों से तुलनात्मक अध्यन किया जाये तो उच्च राशि वाले के फल सबसे अधिक और मूल त्रिकोण राशि के फल उच्चराशि वाले से थोड़े काम शुभ प्राप्त होते हैं।
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आइये जानते हैं कौनसा गृह किस राशि में मूल त्रिकोण का होता है।
१. सूर्य:- सूर्य देव जब कुंडली में सिंह राशि में हों और इनका अंशबल १ अंश से २० अंश हो तो ऐसे सूर्य को मूल त्रिकोण का स्थान दिया जायेगा।
२. चंद्र:- चंद्र देव जब कुंडली में वृषभ राशि में हों और इनका अंशबल ४ अंश से ३० अंश हो तब इनको मूल त्रिकोण का कहा जायेगा।
३. मंगल:- मंगल देव जब कुंडली में मेष राशि में विराजमान हों और इनका अंशबल १ अंश से लेकर १२ अंश तक हॉट तब इनको मूल त्रिकोण का मन जाता है।
४. बुध:- बुध देव जब कुंडली में कन्या राशि में विराजमान हों और इनका अंशबल १६ अंश से २० अंश तक हो तब इनको मूल त्रिकोण का जानना चाहिए।
५. गुरु:- गुरुदेव बृहस्पति जब कुंडली में धनु राशि में विराजमान हों और उनका अंशबल १ अंश से १० अंश तक हो तब इनको मूल त्रिकोण का जाने।
६ शुक्र:- शुक्रदेव जब कुंडली में तुला राशि में विराजमान हों और इनका अंशबल १ अंश से १५ अंश तक हो तब ये मूल तिरकों के होते हैं।
७. शनि:- शनिदेव जब कुंडली में कुम्भ राशि में विराजमान हों और इनका अंशबल १ अंश से २० अंश तक हो तब ये मूल त्रिकोण के होते हैं।
८. राहु:- राहु को शनिवत माना गया है अतः इनकी मूल त्रिकोण राशि भी कुम्भ ही है।
९. केतु:- केतु को मंगलवत माना गया है अतः इनकी मूल त्रिकोण राशि सिंह है।
यहाँ पर बैठने पर इन सभी ग्रहों के फलों में वृद्धि देखने को मिलती है।
तो आज के लेख से आप लोगों को ये समझ आया होगा कि कुंडली में कौनसा ग्रह किस राशि में कितने अंशों पर मूल त्रिकोण का होता है। आगे के लेखों में अन्यान्य विषयों पर चर्चा करते रहेंगे।
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आपका आनेवाला दिन शुभ हो जय सिया राम।
ज्योतिष संजीव चतुर्वेदी
आगरा, उत्तर प्रदेश।
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