
ग्रहों की दृष्टियां
प्रिय पाठको जयसियाराम !
मैं जो लेख यहाँ पर प्रकशित करता हूँ वह कुछ पाठकों के लिए रसहीन हो सकते हैं किंतु वो पाठक जो ज्योतिष को जानना ओर समझना चाहते हैं उनके लिए ये लेख संजीवनी हो सकते हैं, मेरा प्रयास है कि आप मेरे इन छोटे लेखों से ज्योतिष के जटिल विषय को करीब से जानें, तो बात को लम्बा न बढ़ाकर सीधे विषय पर आते हैं भारतीय (वैदिक) ज्योतिष का आधार ग्रह और नक्षत्र है 27 नक्षत्रों से 12 राशियों का निर्माण हुआ है और उन राशियों पर किस ग्रह का स्वामित्व है ये हम इससे पूर्व वाले लेख में अपने पाठकों को बता चुके हैं, आज हम आपको इन ग्रहों की दृष्टि के बारे में बता रहे हैं नवग्रह में 9 ग्रह हैं ये सभी ग्रह अपने सामने वाले घर को पूर्ण दृष्टि से देखते हैं इस दृष्टि को ग्रहों की सप्तम दृष्टि बोलते हैं इसका मतलब साफ शब्दों में कहें तो हर ग्रह के पास सप्तम दृष्टि है।
अब जैसा ऊपर बताया सभी ग्रहों के पास सप्तम दृष्टि है इसके साथ साथ मंगल को दो और दृष्टियां प्राप्त हैं चतुर्थ और अष्टम यानी मंगल जहाँ पर बैठते हैं वहां से चौथे, सातवें ओर आठवें भाव पर अपनी दृष्टि डालते हैं।
गुरु को भी सप्तम दृष्टि के साथ साथ और दो दृष्टियां प्राप्त हैं पंचम और नवम यानी गुरुदेव बृहस्पति जहाँ बैठते हैं वहाँ से पांचवे, सातवे और नोवे भाव पर अपनी पूर्ण दृष्टि डालते हैं।
राहु और केतु को गुरुदेव बृहस्पति के समान ही दृष्टि प्राप्त हैं।
शनि देव भी उन ग्रहों में आते हैं जिनको सप्तम दृष्टि के अलावा भी अन्य दृष्टियां प्राप्त हैं शनिदेव जहाँ बैठते हैं वहां से तीसरे, सातवे और दसवे भाव को पूर्ण दृष्टि से देखते हैं।
आज आप ग्रहों की दृष्टि से परिचित हो गए होंगे आगे के लेखों में आपको ज्योतिष विषय से संबंधित अन्यान्य जानकारियां देता रहूँगा।
आपका आनेवाला दिन शुभ हो जयसियाराम
Astrology A Discovery
Astro. Sanjeev Chaturvedi
51/3 Nikhil Paradise, Shastripuram
Agra, Uttar Pradesh – 282007
Astrology And Falit Jyotish