
प्रिय पाठको आप लोगों ने कई ज्योतिषियों के मुख से केमद्रुम दोष का नाम सुना होगा ये दोष जिस कुंडली में बनता है उस जातक या जातिका का जीवन बहुत दरिद्रता में कटता है उसका स्वस्थ भी उत्तम नहीं रहता सुख चाहे वो शारीरक हो, मानसिक हो या आर्थिक सभी जगह इस दोष के दुष्परिणाम देखने को मिलते हैं ऐसे जातक या जातिका को शिक्षा, धन, संतान, विवाह, कार्य सभी में परेशानियाँ उठानी पड़ती हैं ऐसे व्यक्ति नरक सामान जीवन जीते हैं ।
कैसे बनता है केमद्रुम दोष
अब यहाँ ये समझने की जरूरत है की सच में ये दोष कुंडली में बनता कैसे है इसके बनने के तरीके क्या हैं तो शास्त्र कहता है की जिस जातक की कुण्डली में चन्द्रमा के एक घर आगे वाले घर में और एक घर पीछे वाले घर में कोई भी गृह न हो तो यह दोष बन जाता है और फिर दुष्परिणाम जो इसके फलस्वरूप मिलने चाहिए वो मिलने आरम्भ हो जाते हैं। अब इसका दूसरा पहलू ये है कि जातक और जातिका जो कि पहले से परेशान हैं किसी और गृह की वजह से, उनको पूर्ण जानकारी न होने के कारण उन लोगो की कमाई का रास्ता खुल जाता है जो आपके मन में इन ग्रहो के प्रति डर भरते हैं और आपको इसका कोई भी ज्ञान नहीं होने के कारण आप उनकी बातों को सच मान लेते हैं। अधूरे ज्ञान से जिस प्रकार एक झोला छाप डॉक्टर आपका इलाज करता है उसी प्रकार झोला छाप ठेकेदार जो कि आपको केंमद्रुम दोष से पहले ही डरा चुका है आपको ठगना चालू कर देता है अब असल में केमद्रुम दोष बनता कैसे है ये मैं आपको बताता हूँ में ये भी बताता कि जब ये दोष कुण्डली में भंग हो जाता है तो ये प्रवाल राज योग में बदल जाता है।
जब कुण्डली में चन्द्रमा से एक घर आगे और एक घर पीछे के घर में कोई भी गृह न हो तो केमद्रुम दोष का निर्माण होता हैं , इसमें राहु और केतु का विचार नहीं किया जाता है।
केमद्रुम दोष भंग कैसे होता है
यहाँ चंद्र से चौथे घर में एक से अधिक गृह हैं।
केमद्रुम दोष भंग होने के उदाहरण
उदाहरण :८ चंद्रमा पर बुध या गुरु की पूर्ण दृष्टि हो अथवा लग्न में बुध या गुरु की स्थिति या दृष्टि हो तो ।
उदाहरण :९ चंद्रमा और गुरु के मध्य भाव-परिवर्तन का संबंध बन रहा हो तो ।
उदाहरण :१० चंद्रमा-अधिष्ठित राशि का स्वामी चंद्रमा पर दृष्टि डाल रहा हो तो ।
उदाहरण : ११ चंद्रमा-अधिष्ठित राशि का स्वामी लग्न में स्थित हो तो ।
उदाहरण : १२ चंद्रमा-अधिष्ठित राशि का स्वामी गुरु से दृष्ट हो तो ।
उदाहरण : १३ चंद्रमा-अधिष्ठित राशि का स्वामी चंद्रमा से भाव परिवर्तन का संबंध बना रहा हो तो ।
उदाहरण : १४ चंद्रमा-अधिष्ठित राशि का स्वामी लग्नेश, पंचमेश, सप्तमेश या नवमेश के साथ युति या दृष्टि संबंध बना रहा हो तो ।
उदाहरण :१५ लग्नेश, पंचमेश, सप्तमेश और नवमेश में से कम से कम किन्ही दो भावेशों का आपस में युति या दृष्टि संबंध बन रहा हो तो ।
उदाहरण :१६ लग्नेश बुध या गुरु से दृष्ट होकर शुभ स्थिति में हो तो ।
उदाहरण :१७ चंद्रमा केंद्र में स्वराशिस्थ या उच्च राशिस्थ होकर शुभ स्थिति में हो तो ।
महिला आईपी. एस किरण बेदी है जिनका ये दोष भंग हुआ किरण बेदी जन्म दिनांक : 9 जून 1949 जन्म समय : 14 :10 बजे ,जन्म स्थान : अमृतसर
१. यहाँ चंद्रमा, अधिष्ठित राशि अपने स्वामी मंगल एवं लग्नेश बुध से दृष्ट है। २ . लग्नेश बुध, चंद्र-लग्नेश मंगल तथा लग्न पर गुरु की पंचम व नवम शुभ दृष्टि है।
प्रसिद्ध अभिनेता राजेश खन्ना केमद्रुम दोष भंग हुआ, अभिनेता राजेश खन्ना जन्म दिनांक : 29 दिसंबर 1942 जन्म समय : 17 :45 बजे जन्म स्थान : अमृतसर
१ . चंद्रमा अधिष्ठित राशि का स्वामी सूर्य गुरु से दृष्ट है। 2. लग्नेश बुध, पंचमेश शुक्र की युति चंद्रमा अधिष्ठित राशि के स्वामी सूर्य से है जिसका गुरु से पूर्ण सप्तम दृष्टि संबंध है।
यह कुंडली प्रसिद्ध ज्योतिषी एच. एन. काटवे की है। इनकी कुंडली में भी केमद्रुम योग भंग होकर राजयोग में बदल गया है। केमद्रुम योग भंग करने वाले योग निम्नलिखित है।
१. चंद्रमा अधिष्ठित राशि का स्वामी शुक्र, लग्नेश गुरु से युति कर रहा है। २. सप्तमेश बुध, नवमेश सूर्य से युति कर रहा है।
उपर्युक्त विवेचन से स्पष्ट होता है कि केमद्रुम योग जिसे एक अशुभ योग माना जाता है, यदि किसी प्रकार भंग हो जाता है तो यह पूर्ण रूप से राजयोग में बदल जाता है। इसलिए किसी जातक की कुंडली देखते समय केमद्रुम योग की उपस्थिति होने पर उसको भंग करने वाले उपर्युक्त योगों पर निश्चय ही ध्यान देना चाहिए। उसके बाद ही फलकथन करना चाहिए।
सुधी पाठक केमद्रुम योग को भंग कर राजयोग में परिवर्तित करने वाले उपर्युक्त योगों की सत्यता की पुष्टि करने निम्न लोगो की कुंडली का सकते हैं
१. महात्मा गांधी, २. नेल्सन मंडेला, ३. जुल्फिकार अली भुट्टो, ४. भैरों सिंह शेखावत, ५. बिल गेट्स, ६. देवानंद, ७. राजकपूर, ८. ऋषि कपूर, ९. शत्रुध्न सिन्हा, १०. अमीषा पटेल, ११. अजय देवगन, १२. राहुल गांधी, १३. शंकर दयाल शर्मा, १४. इंजमाम-उल-हक, १५. जवागल श्री नाथ, १६. पीचिदंबरम, १७. मेनका गांधी, १८. वसुंधरा राजे, १९. अर्जुन सिंह तथा २०. अनुपम खेर आदि सुप्रसिद्ध जातकों की कुंडलियों में विश्लेषण स्वतः कर सकते हैं। ज्योतिषी एच. एन. काटवे जन्म दिनांक : 6 फरवरी 1892 जन्म समय : 4 : 20 बजे जन्म स्थान : बेलगांव
ज्योतिष संजीव कुमार चतुर्वेदी
होलीपुरा, बाह (आगरा )