
जयसियाराम,
पाठको ज्योतिष एक ऐसा विषय है कि इसके बारे में जितना जाने उतना कम जहाँ से जो भी ज्ञान मिले ले लेना ही सबसे सफल ज्योतिषी का सबसे बड़ा गन है, हमारे नियमित पाठकों में से बहुत से पाठक इस विषय में पूर्ण ज्ञान रखते होंगे लेकिन ये लेख ज्ञानी महानुभावों के लिए तो सिर्फ इतना है कि वो मेरी गलतियों पर कमेंट करें और बताये कि मैं कहा पर गलत लिख रहा हूँ, इससे दुहरा लाभ प्राप्त होगा पहला तो सभी वो पाठक जो इस विषय में नहीं जानते उनको ज्ञान प्राप्त होगा, और दूसरा मुझे भी जो ज्ञान है उसमे भी वृद्धि होगी और अगर कोई नई सीख मुझे प्राप्त होगी तो इसके लिए मैं ज्ञानी जनो का आभारी रहूँगा।
प्रिय पाठको आज मैं आपको कुण्डली के १२ भावों से क्या क्या फल विचार किया जाता है यह बताऊंगा इस लेख को पूरा पढ़िए इस को जरा सा भी बिना पढ़े छोड़ देने पर आपको इस ज्ञान में कमी रह जाएगी।
कुण्डली के पहले भाव से क्या क्या जानते हैं

कुण्डली के दूसरे भाव से क्या क्या जानते हैं

कुण्डली के तीसरे भाव से क्या क्या जानते हैं

कुण्डली के चौथे भाव से क्या क्या जानते हैं

कुण्डली के पांचवे भाव से क्या क्या जानते हैं

कुण्डली के छठवें भाव से क्या क्या जानते हैं

कुण्डली के सातवें भाव से क्या क्या जानते हैं

कुण्डली के आठवें भाव से क्या क्या जानते हैं

कुण्डली के नौवें भाव से क्या क्या जानते हैं

कुण्डली के दसवें भाव से क्या क्या जानते हैं

कुण्डली के ग्यारहवें भाव से क्या क्या जानते हैं

कुण्डली के बारहवें भाव से क्या क्या जानते हैं

प्रिय पाठको, यहाँ पर ये बताते चलें कि कुंडली के तीसरे, छठवें, आठवें, और बारहवें घर को लीन स्थान बोला जाता है। लीन का अर्थ होता है लिपा (पुराने ज़माने में गोबर और तालाब की मिटटी को मिला कर, घर के वो हिस्से जो सीमेन्ट अथवा ईंट के स्थान पर मिटटी से बने होते थे, उनके ऊपर पतला पतला लेप क्या जाता था जिससे पुरानी दीवार नई जैसी लगने लगती थीं ) हुआ। जिस प्रकार लिपे हुए आँगन में सारी लकीरें दब जाती हैं ठीक उसी प्रकार, कुण्डली के ३,६,८, और १२ स्थान को बुरे फल देने वाला भाव माना जाता है इसमें सबसे निकृष्ट स्थान आठवां होता है।
