Wed. Mar 22nd, 2023

शुक्र 06 अप्रैल 2023 से बनाएंगे मालव्य राजयोग, खुलेगी इन राशियों की किस्मत

शुक्र 06 अप्रैल 2023 से बनाएंगे मालव्य राजयोग, खुलेगी इन राशियों की किस्मत शुक्र 06 अप्रैल 2023 से बनाएंगे मालव्य राजयोग, खुलेगी इन राशियों की किस्मत: जी हां आप लोगों…

मेष लग्न के चौथे भाव में सूर्य का प्रभाव

मेष लग्न के चौथे भाव में सूर्य का प्रभाव प्रिय पाठको जयसियाराम, आज हम मेष लग्न के में सूर्य बैठे हों तो कैसा प्रभाव जातक के जीवन पर होगा इसके…

आकाश गंगा और ज्योतिष

आकाश गंगा और ज्योतिष आकाशगंगा और ज्योतिष का आपस में गहरा रिश्ता है। ज्योतिष शास्त्र गैलेक्सी में स्थित अपने सौर मंडल में ग्रहों की चाल के बाद जीवों पर पड़ने…

ग्रहों की तात्कालिक मैत्री

ग्रहों की तात्कालिक मैत्री ये लाइन अधिकतर सभी ने सुनी होगी, पिछले लेख में मैंने अपने सभी पाठकों को नैसर्गिक मैत्री के बारे में बताया था। आज उसकी कड़ी में…

ग्रहों की नैसर्गिक मैत्री

ग्रहों की नैसर्गिक मैत्री, तात्कालिक मैत्री ये शब्द तकरीबन उन सभी मित्रों ने पढ़े व सुने होंगे जो ज्योतिष में रुचि रखते हैं या जो अपनी कुण्डली किसी प्रबुद्ध ज्योतिषी…

Today’s Horoscope | आज का राशिफल

Today’s Horoscope | आज का राशिफल सभी प्रबुद्ध पाठकों को जयसियाराम,पिछले लेख में हमने चर्चा की थी कि किस प्रकार एक प्रबुद्ध ज्योतिषी राशिफल की भविष्यवाणी अथक परिष्रम के साथ…

कुण्डली के भाव उनसे जानने योग्य बातें

जयसियाराम,पाठको ज्योतिष एक ऐसा विषय है कि इसके बारे में जितना जाने उतना कम जहाँ से जो भी ज्ञान मिले ले लेना ही सबसे सफल ज्योतिषी का सबसे बड़ा गन…

सूर्य देव का फल कथन 

प्रिय पाठको जय सियाराम, पाठकों के द्वारा बड़ी संख्या में ये प्रश्न पूँछे जाते हैं कि, सूर्य देव ग्रहों में राजा हैं और इनके द्वारा कुण्डली में दिए जाने वाले फल किस प्रकार देखे जाते है. सूर्यदेव का…

ग्रह कब हो जाते हैं वक्री

ग्रह कब हो जाते हैं वक्री प्रिय पाठको, जयसियाराम, आज हम बात करने वाले हैं ग्रहों के वक्री होने पर ग्रहों का वक्री होना और वक्री से मार्गी होना आम…

सिंह राशि का विवरण

सिंह राशि का विवरण जयसियाराम, सभी पाठकों को मेरा नमस्कार मित्रों इससे पहले वाले लेख में मैंने कर्क राशि के ऊपर काफी कुछ लिखा था, मुझे विश्वास है कि आप…

इस राशि वालों को शनिदेव देते हैं छप्पर फाड़ के / “वृषभ राशि” का विवरण

इस राशि वालों को शनिदेव देते हैं छप्पर फाड़ के  मेरे प्रिय पाठकों को “ज्योतिष संजीव चतुर्वेदी” का नमस्कार जय सियाराम,              मेरे प्रिय पाठको, जैसा…

हमारा सौरमंडल और ” वृषभ राशि”

हमारा सौरमंडलऔर “वृषभ राशि“   प्रिय पाठको जय सियाराम,      अब तक हमने पहले तीन नक्षत्र अश्विनी, भरणी, कृत्तिका (अश्विनी के 4 चरण, भरणी के 4 चरण और कृत्तिका के प्रथम)…

स्वयं जाने आपका नाम अक्षर

 स्वयं जाने आपका नाम किस अक्षर से है सही    नमस्कार जय सियाराम प्रिय पाठकगण ! पिछले लेख में हमने अपने पाठकों को ये बताया था कि २७ नक्षत्र कौनसे…

लग्न भाव में सूर्य देव का फल

सूर्य का लग्न भाव में फल  सभी नियमित एवं नए पाठकों को मेरा जयसियाराम,         प्रिय पाठको सूर्य के बारे में चर्चा कर रहे हैं जो की धीरे-धीरे…

सूर्य ग्रह कारक और फल

सूर्य के कारक और फल  प्रिय पाठकों को मेरा जयश्रीराम इस लेख के माध्यम से हम आपको ये बताने के प्रयत्न करेंगे की हमारे सौर मंडल का मुख्य ग्रह सूर्य है और…

ग्रहों की मूल त्रिकोण राशि / Basic triangle zodiac sign / सूर्य/चंद्र/मंगल/बुध/बृहस्पति/शुक्र/शनि/राहु/केतु /Sun / Moon / Mars / Mercury / Jupiter / Venus / Saturn / Rahu / Ketu

ज्योतिष और ज्ञान ग्रहों की मूल त्रिकोण राशि प्रिय पाठको जयसियाराम, जैसा की लेख का शीर्षक है ” ग्रहों की मूल त्रिकोण राशि ” इससे आपक ये तो समझ ही…

कुंडली में लग्न भाव / लग्न / लग्न भाव / प्रथम भाव / कुंडली / Ascendant house in lagna / lagna / lagna bhava / first house / horoscope

प्रिय पाठकों को ज्योतिष संजीव कुमार चतुर्वेदी का नमस्कार ! जो भी पाठक ज्योतिष विषय में रूचि रखते हैं उनके लिए यहाँ पर जो पाठ हैं उनको आप पढ़ सकते हैं…

कुंडली में सूर्य का बलाबल

कुंडली में सूर्य का बलाबल  सूर्य    जयसियाराम प्रिय पाठको  इस समस्त संसार में हर व्यक्ति अपने आने वाले भविष्य के बारे में जानने के लिए बड़ा ही उत्सुक रहता…

ग्रहों की दृष्टियां

ग्रहों की दृष्टियां प्रिय पाठको जयसियाराम ! मैं जो लेख यहाँ पर प्रकशित करता हूँ वह कुछ पाठकों के लिए रसहीन हो सकते हैं किंतु वो पाठक जो ज्योतिष को…

Jyotish Tutorials, #ज्योतिष पाठशाला# #ज्योतिष सीखें#

bhaktikathain / kathain / kahaniyan / bhakt ज्योतिष सीखें  ज्योतिष शास्त्र सच मैं बहुत ही विशाल समुद्र है जिसकी थाह पाने की कोशिश अनेक ऋषि मुनियों ने की है और…

“केमद्रुम दोष” क्या देगा ? दरिद्रता

प्रिय पाठको आप लोगों ने कई ज्योतिषियों के मुख से केमद्रुम दोष का नाम सुना होगा ये दोष जिस कुंडली में बनता है उस जातक या जातिका का जीवन बहुत…

गृह और उनके कारक

bhaktikathain / kathain / kahaniyan / bhakt गृह और उनके कारक  सभी ग्रह केकारक उस ग्रहके प्रभावों कोप्रदर्शित करने मेंसहायक होते हैं. नौ ग्रहों मेंसे जब कोईभी ग्रह अपनेप्रभाव देता…

वैदिक वशीकरण

bhaktikathain / kathain / kahaniyan / bhakt कामदेव और उसकीउपासना मनचाहे प्यार को पाने के लिए बसंत पंचमी को करें रति एवं कामदेव की पूजा जैसा की आप सभी को…

चंद्र गृह और उसकी उपासना

चंद्र गृह और उसकी उपासना  चंद्रमाका जन्म सुंदर चमकीले चंद्रमा कोदेवताओं के सामानही पूजनीय मानागया है। चंद्रमाके जन्म कीकहानी पुराणों मेंअलग–अलग मिलतीहै। ज्योतिष औरवेदों में चन्द्रको मन काकारक कहा गयाहै।…

रम्भा अप्सरा और उसकी उपासना

रम्भा अप्सरा और उसकी उपासना चिर यौवन और निरोगी काया देती है ये उपासना पुराणोंमें रंभा काचित्रण एक प्रसिद्ध अप्सरा के रूपमें हुआ है।उसकी उत्पत्ति देवताओंऔर असुरों द्वाराकिए गए विख्यात सागर मंथन सेमानी जाती…

शुक्र गृह व उसकी उपासना

शुक्र गृह व उसकी उपासना  शुक्र देव   शुक्र जिसका संस्कृत भाषा में एक अर्थ है शुद्ध, स्वच्छ, भृगु ऋषि के पुत्र एवं दैत्य–गुरु शुक्राचार्य का प्रतीक शुक्र ग्रह है। भारतीय ज्योतिष में इसकी नवग्रह में भी गिनती होती है। यह सप्तवारों में शुक्रवार का स्वामी होता है। यह श्वेत वर्णी, मध्यवयः, सहमति वाली मुखाकृति के होते हैं। इनको ऊंट, घोड़े या मगरमच्छ पर सवार दिखाया जाता है। ये हाथों में दण्ड, कमल, माला और कभी–कभार धनुष बाण भी लिये रहते हैं.उषानस एक वैदिक ऋषि हुए हैं जिनका पारिवारिक उपनाम था काव्य (कवि के वंशज, अथर्व वेद अनुसार जिन्हें बाद में उषानस शुक्र कहा गया)शुक्र नाम उच्चारण में शुक्ल से मिलता हुआ है जिसका अर्थ है श्वेत या उजला यह ग्रह भी श्वेत वर्ण का उज्ज्वल प्रकृति का ही है,यह नाम तृतीय मनु के सप्तऋषियों में से एक वशिष्ठ के पुत्र मरुत्वत का है।हविर्धन के एक पुत्र भव के अन्तर्गत्त यही मनु भौत्य आते हैं।उषानस नाम धर्मशास्त्र के रचयिता का भी है। दैत्यगुरु शुक्राचार्य शुक्र कवि ऋषि के वंशजों की अथर्वन शाखा के भार्गव ऋषि थे,श्रीमद्देवी भागवत के अनुसार इनकी माँ काव्यमाता थीं,शुक्र कुछकुछ स्त्रीत्व स्वभाव वाला ब्राह्मण ग्रह है,इनका जन्म पार्थिव नामक वर्ष (साल) में श्रावण शुद्ध अष्टमी को स्वाति नक्षत्र के उदय के समय हुआ था,कई भारतीय भाषाओं जैसे संस्कृत, तेलुगु, हिन्दी, मराठी, गुजराती, ओडिया, बांग्ला, असमिया एवं कन्नड़ में सप्ताह के छठे दिवस को शुक्रवार कहा जाता है,शुक्र ऋषि अंगिरस के अधीन शिक्षा एवं वेदाध्ययन हेतु गये, किन्तु अंगिरस द्वारा अपने पुत्र बृहस्पति का पक्षपात करने से वे व्याकुल हो उठे,तदोपरांत वे ऋषि गौतम के पास गये और शिक्षा ग्रहण की,बाद में इन्होंने भगवान शिव की कड़ी तपस्या की और उनसे संजीवनी मंत्र की शिक्षा ली। यह विद्या मृत को भी जीवित कर सकती है। इनका विवाह प्रियव्रत की पुत्री ऊर्जस्वती से हुआ और चार पुत्र हुए: चंड, अमर्क, त्वस्त्र, धारात्र एवं एक पुत्री देवयानी,इस समय तक बृहस्पति देवताओं के गुरु बन चुके थे,शुक्र की माता का वध कर दिया गय आथा, क्योंकि उन्होंने कुछ असुरों को शरण दी थी जिन्हें विष्णु ढूंढ रहे थे। इस कारण से इन्हें विष्णु से घृणा थी, शुक्राचार्य ने असुरों और दैत्यों का गुरु बनना निश्चित किया और बने तब इन्होंने दैत्यों को देवताओं पर विजय दिलायी और इन युद्धों में शुक्र ने मृतसंजीवनी से मृत एवं घायल दैत्यों को पुनर्जीवित कर दिया था,एक अन्य कथा के अनुसा भगवान विष्णु ने जब वामन अवतार लिया था, तब वे त्रैलोक्य को दानस्वरूप ग्रहण करने राजा बलि के पास पहुंचे,विष्णु ने प्रह्लाद के पौत्र महाबलि से वामन के छद्म रूप में दान स्वरूप त्रैलोक्य ले लेने का प्रयास किया किन्तु शुक्राचार्य ने उन्हें पहचान लिया और राजा को आगाह कियाहालांकि राजा बलि अपने वचन का पक्का था और वामन देवता को मुंहमांगा दान दिया शुक्राचार्य ने बलि के इस कृत्य पर अप्रसन्न होकर स्वयं को अत्यंत छोटा बना लिया और राजा बलि के कमण्डल की चोंच में जाकर छिप गये इसी कमण्डलु से जल लेकर बलि को दान का संकल्प पूर्ण करना था तब विष्णु जी ने उन्हें पहचान कर भूमि से कुशा का एक तिनका उठाया और उसकी नोक से कमण्डलु की चोंच को खोल दिया इस नोक से शुक्राचार्य की बायीं आंख फ़ूट गयी तब से शुक्राचार्य काने ही कहलाते हैं,शुक्राचार्य की पुत्री देवयानी को विवाह प्रस्ताव हेतु बृहस्पति के पुत्र कच ऋषि ने ठुकरा दिया था कालांतर में उसका विवाह ययाति से हुआ और उसी से कुरु वंश की उत्पत्ति हुई,महाभारत के अनुसार शुक्राचार्य भीष्म के गुरुओं में से एक थे इन्होंने भीष्म को राजनीति का ज्ञानकराया था। ज्योतिष में शुक्र  भारतीय ज्योतिष के अनुसार शुक्र लाभदाता ग्रह माना गया है यह वृषभ एवं तुला राशियों का स्वामी है शुक्र मीन राशि में उच्च भाव में रहता है और कन्या राशि में नीच भाव में रहता है बुध और शनि शुक्र के सखा ग्रह हैं जबकि सूर्य और चंद्र शत्रु ग्रह हैं तथा बृहस्पति तटस्थ ग्रह माना जाता है ज्योतिष के अनुसार शुक्र रोमांस, कामुकता, कलात्मक प्रतिभा, शरीर और भौतिक जीवन की गुणवत्ता, धन, विपरीत लिंग, खुशी और प्रजनन, स्त्रैण गुण और ललित कला, संगीत, नृत्य, चित्रकला और मूर्तिकला का प्रतीक है जिनकी कुण्डली में शुक्र उच्च भाव में रहता है उन लोगों के लिए प्रकृति की सराहना करना एवं सौहार्दपूर्ण संबंधों का आनंद लेने की संभावना रहती है। हालांकि शुक्र का अत्यधिक प्रभाव उन्हें वास्तविक मूल्यों के बजाय सुख में बहुत ज्यादा लिप्त होने की संभावना रहती है शुक्र तीन नक्षत्रों का स्वामी है: भरणी, पूर्वा फाल्गुनी और पूर्वाषाढ़ा, कुण्डली में शक्ति वाले भाव : द्वितीय, तृतीय, सप्तम एवं द्वादश कुण्डली में अशक्त भाव : छठा एवं अष्टम कुण्डली में मध्यम शक्ति भाव : प्रथम, चतुर्थ, पंचम, नवम, दशम एवं एकादश शुक्र का महत्त्व शुक्र जीवनसंगी, प्रेम, विवाह, विलासिता, समृद्धि, सुख, सभी वाहनों, कला, नृत्य, संगीत, अभिनय, जुनून और काम का प्रतीक है शुक्र के संयोग से ही लोगों को इंद्रियों पर संयम मिलता है और नाम व ख्याति पाने के योग्य बनते हैं,शुक्र के दुष्प्रभाव से त्वचा पर नेत्र रोगों, यौन समस्याएं, अपच, कील,मुहासे, नपुंसकता, क्षुधा की हानि और त्वचा पर चकत्ते हो सकते है,वैदिक ज्योतिष के अनुसार ग्रहीय स्थिति दशा होती है, जिसे शुक्र दशा कहा जाता है यह जातक पर २० वर्षों के लिये सक्रिय होती है यह किसी भी ग्रह दशा में सबसे लंबी होती है, इस दशा में जातक की जन्मकुण्डली में शुक्र सही स्थान पर होने से उसे कहीं अधिक धन, सौभाग्य और विलासिता सुलभ हो जाती है इसके अलावा कुण्डली में शुक्र अधिकतर लाभदायी ग्रह माना जाता है। शुक्र हिन्दू कैलेण्डर के माह ज्येष्ठ का स्वामी भी माना गया है। यह कुबेर के खजाने का रक्षक माना गया है। शुक्र के प्रिय वस्तुओं में श्वेत वर्ण, धातुओं में रजत एवं रत्नों में हीरा है इसकी प्रिय दशा दक्षिणपूर्व है, ऋतुओं में वसंत ऋतु तथा तत्त्व जल है,चंद्र मंडल से २ लाख योजन ऊपर कुछ तारे हैं इन तारों के ऊपर ही शुक्र मंडल स्थित है, जहां शुक्र का निवास है इनका प्रभाव पूरे ब्रह्मांड के निवासियों के लिये शुभदायी होता है तारों के समूह के १६ लाख मील ऊपर शुक्र रहते हैं यहां शुक्र लगभग सूर्य के समान गति से ही चलते हैं कभी शुक्र सूर्य के पीछे रहते हैं, कभी साथ में तो कभी सूर्य के आगे रहते हैं शुक्र वर्षाविरोधी ग्रहों के प्रभाव को समाप्त करता है परिणामस्वरूप इसकी उपस्थिति वर्षाकारक होती है अतः ब्रह्माण्ड के सभी निवासियों के लिये शुभदायी कहलाता है। यह प्रकाण्ड विद्वानों द्वारा मान्य तथ्य है शिशुमार के ऊपरी चिबुक पर अगस्ति और निचले चिबुक पर यमराज रहते हैं; मुख पर मंगल एवं जननांग पर शनि, गर्दन के पीछे बृहस्पति एवं छाती पर सूर्य तथा हृदय की पर्तों के भीतर स्वयं नारायण निवास करते हैं इनके मस्तिष्क में चंद्रमा तथा नाभि में शुक्र तथा स्तनों पर अश्विनी कुमार रहते हैं इनके जीवन में वायु जिसे प्राणपन कहते हैं बुध है, गले में राहु का निवास है पूरे शरीर भर में पुच्छल तारे तथा रोमछिद्रों में अनेक तारों का निवास है। शुक्र…

बुध गृह और उसकी उपासना

बुध गृह और उसकी उपासना  बुध का जन्म चंद्रमा के गुरुथे देवगुरु बृहस्पति। बृहस्पति की पत्नीतारा चंद्रमा की सुंदरता पर मोहितहोकर उनसेप्रेम करनेलगी। तदोपरांत वह चंद्रमा के संगसहवास भीकर गईएवं बृहस्पति को छोड़ही दिया।बृहस्पति…

गुरु गृह और उसकी उपासना

गुरु गृह और उसकी उपासना ऐसे बृहस्पति गुरूगुरूवार को बृहस्पति जी की पूजा होती है है जिनको देवताओं के गुरु की पदवी प्रदान की गई है। चार हाथों वाले बृहस्‍पति…

तृष्णा

bhaktikathain / kathain / kahaniyan / bhakt तृष्णा मित्र श्री दिलीप पाण्डेय से साभार प्राप्त  माता पार्वती और प्रभु शंकर जी बैठे वार्तालाप कर रहे थे, माता पार्वती जी प्रभु शंकर…

नक्षत्र और उनके स्वामी

प्रिय पाठकोजयसियाराम, हमारे सौरमंडल में२७ नक्षत्रोंहमारे ऋषिमुनियों नेमाना थाजिनका नामक्रमशः नीचेदिया जारहा हैसाथ हीराशि केनाम केआगे उनकेस्वामियों केनाम भीलेखे हैंजिससे आपकोसमझने मेंसुविधा रहेआप अगरज्योतिष केजानकार बननाचाहते हैंतो आपकोयाद करलेनाहोगा जिससेफल…

बारह राशियाँ और उनके स्वामी

कुण्डली विज्ञान बारह राशियाँ और उनके स्वामी  प्रिय पाठको जयसियाराम, जन्म कुण्डली में जो खाने बने होते हैं वो १२  होते हैं और वो सभी खाने १२ राशियों के ही सूचक हैं…

प्रभु को पहचानो

bhaktikathain / kathain / kahaniyan / bhakt प्रभु को पहचानो एक नदी के किनारे एक गांव बसा हुआ था, उसी गांव में प्रभु श्रीरामजी का बहुत ही रमणीक मंदिर था, उस मंदिर…

जब मनुष्य से हारे यम

जब मनुष्य से हारे यम एक बार एक हाथी मर कर यम के दरबार में प्रस्तुत हुआ यम ने उसको बड़े ही गौर से देखा और पूंछा “तुमने अपने प्राण त्यागने में…

अर्जुन को रथ, गांडीव व अक्षय तरकस की प्राप्ति

अर्जुन को रथ, गांडीव व अक्षय तरकस की प्राप्ति  मित्रों आप सभी जानते ही होंगे की अर्जुन के पास “गाण्डीव” नामक धनुष था, लेकिन ये धनुष अर्जुन को प्राप्त कैसे…

भक्ति भोले ग्वाले की पार्ट ३

कथा–१ भाग –३ ग्वाले की भक्ति पार्ट –३  उसने अंदर जाकर देखा उस बालक के गले मैं जो मुक्ता मणि की माला थी वह माला टूट चुकी थी उसके मुक्ते यहाँ वहां बिखरे पड़े थे उसने आगे देखा…

भक्ति में धैर्य

भक्ति में धैर्य एक समय की बात है एक गांव में एक किसान रहता था उसके घर में माता-पिता, पत्नी,एवं दो बच्चे थे किसान बहुत ही भोला-भाला था पूरी महनत करता…

काल की गति

काल की गति तुलसी जस भवतव्यता तैसी मिले सहाय ,आप न आवे ताहि पे ताहि तहाँ ले जाए।  अर्थात : तुलसी दास जी कहते हैं कि काल की गति को कोई…

समुद्र मंथन में निकले १४ रत्न

समुद्र मंथन में निकले १४ रत्न  श्री, रम्भा, विष, वारुणी, अमिय, शंख, गजराज। धनु, धन्वन्तरि, कल्पतरु, चाँद, धेनु, मणि, बाज।पंचांग के अनुसार हर साल कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष त्रयोदशी के…